This Book is Translated By Akash Suryavanshi, President Bheem Sangh जोतीयाव गोववदॊ याव पुर े जन्भ : 11 अप्रैर 1827 बाषा : भयाठी, अॊग्रेजी ववधाए ॉ : च तॊ न, कवलता, नाटक, ननफधॊ प्रभुख कृततमा ॉ : ततृ ीम यत्न, ऩॉलाड़ा : छत्रऩनत शळलाजी बोवरे का, ऩॉलाड़ा : शळषा वलबाग के ब्राह्भण अध्माऩक का, ब्राह्भणों की ाराकी, गुराभगीयी, ककवान का कोड़ा, ग्राभजोळी के वॊफधॊ भें, वत्म-ळोधक वभाज के शरए भॊगरगाथा औय ऩूजावलचध, वालजव ननक वत्मधभ व तनधन : 28 नलॊफय 1890 ववशषे : भशात्भा जोनतफा पुरे ऐवे भशान वल ायक, वभाज वेली तथा क्ाॊनतकायी कामकव ताव थे जजन्शोंने बायतीम वाभाजजक वॊय ना की जड़ता को ध्लस्त कयने का काभ ककमा। भहशराओॊ,दशरतों एलॊ ळूद्रों की अऩभानजनक जीलन जस्थनत भें ऩरयलतनव राने के शरए ले आजीलन वघॊ ऴयव त यशे। वन 1848 भें उन् शोंने ऩुणे भें अछूतों के शरए ऩशरा स्क ूर ोरा। मश बायत के सात इनतशाव भें अऩनी तयश का ऩशरा स्क ूर था। इवी तयश वन 1857 भें उन्शोंने रड़ककमों के शरए स् कूर ोरा जो बायत भें रड़ककमों का ऩशरा स्कूर शुआ। उव स्कूर भें ऩनाने के शरए कोई शळषक न शभरने ऩय जोनतफा पुरे की ऩत्नी वावलत्री आगे आईं। अऩने इन क्ानॊ तकायी कामों की लजश वे पुरे औय उनके वशमोचगमों को तयश-तयश के कष्ट उठाने ऩड़।े उन्शें फाय-फाय घय फदरना ऩड़ा। पुरे की शत्मा कयने की बी कोशळळ की गई। ऩय ले अऩनी याश ऩय डटे यशे। अऩने इवी भशान उद्देश्म को वस्ॊ थागत रूऩ देने के शरए जोनतफा पुरे ने वन 1873 भें भशायाष्र भें सत्म शोधक सभाज नाभक वस्ॊ था का गठन ककमा। उनकी एक भशत्लऩणू व स्थाऩना मश बी थी कक भशाय, कुनफी, भारी आहद ळद्रू कशी जानेलारी जानतमाॉ कबी षत्रत्रम थी,ॊ जो जानतलादी ऴड्मॊत्र का शळकाय शो कय दशरत कशराईं। प्रस्तावना वैकड़ों वार वे आज तक ळूद्राहद-अनतळूद्र (अछूत) वभाज, जफ वे इव देळ भें ब्राह्भणों की वत्ता कामभ शुई तफ वे रगाताय जुल्भ औय ळोऴण वे शळकाय शैं। मे रोग शय तयश की मातनाओॊ औय कहठनाइमों भें अऩने हदन गुजाय यशे शैं। इवशरए इन रोगों को इन फातों की ओय ध्मान देना ाहशए औय गॊबीयता वे वो ना ाहशए। मे रोग अऩन े आऩको ब्राह्भण-ऩॊडा-ऩुयोहशतों की जुल्भ-ज्मादनतमों वे कैवे भुक्त कय वकत े शैं, मशी आज शभाये शरए वफवे भशत्लऩूण व वलार शैं। मशी इव ग्रॊथ का उद्देश्म शै। मश कशा जाता शै कक इव देळ भें ब्राह्भण-ऩुयोहशतों की वत्ता कामभ शुए रगबग तीन शजाय वार वे बी ज्मादा वभम फीत गमा शोगा। ले रोग ऩयदेळ वे मशाॉ आए। उन्शोंने इव देळ के भूर ननलाशवमों ऩय फफयव शभरे कयके इन रोगों को अऩने घय-फाय वे, जभीन-जामदाद वे लॊच त कयके अऩना गुराभ (दाव) फना शरमा। उन्शोंने इनके वाथ फड़ी अभालनीमता का यलैमा अऩनामा था। वैकड़ों वार फीत जाने के फाद बी इन रोगों भें फीती घटनाओॊ की वलस्भनृतमाॉ ताजी शोती दे कय कक ब्राह्भणों ने मशाॉ के भूर ननलाशवमों को घय-फाय, जभीन-जामदाद वे फेद र कय इन्शें अऩना गुराभ फनामा शै, इव फात के प्रभाणों को ब्राह्भण-ऩॊडा-ऩुयोहशतों ने तशव-नशव कय हदमा। दपना कय नष्ट कय हदमा। उन ब्राह्भणों ने अऩना प्रबाल, अऩना ल स्व ल इन रोगों के हदरो-हदभाग ऩय कामभ य ने के शरए, ताकक उनकी स्लाथऩव ूनत व शोती यशे, कई तयश के शथकॊड े अऩनाए औय ले बी इवभें काभमाफ बी शोते यशे। ॉकू क उव वभम मे रोग वत्ता की दृजष्ट वे ऩशरे शी ऩयाधीन शुए थे औय फाद भें ब्राह्भण-ऩॊडा-ऩुयोहशतों ने उन्शें सानशीन-फुद्चधशीन फना हदमा था, जजवका ऩरयणाभ मश शुआ कक ब्राह्भण-ऩॊडा-ऩुयोहशतों के दालॉ -ऩें , उनकी जारवाजी इनभें वे ककवी के बी ध्मान भें नशी ॊ आ वकी। ब्राह्भण-ऩुयोहशतों ने इन ऩय अऩना ल स्व ल कामभ कयने के शरए, इन्शें शभेळा-शभेळा शरए अऩना गुराभ फना कय य ने के शरए, केलर अऩने ननजी हशतों को शी भद्देनजय य कय, एक वे अचधक फनालटी ग्रथॊ ो की य ना कयके काभमाफी शाशवर की। उन नकरी ग्रॊथो भें उन्शोंने मश हद ाने की ऩूयी कोशळळ की कक, उन्शें जो वलळेऴ अचधकाय प्राप्त शैं, ले वफ ईश्लय द्लाया प्रदत्त शैं। इव तयश का झूठा प्र ाय उव वभम के अनऩन रोगों भें ककमा गमा औय उव वभम के ळद्रू ाहद-अनतळूद्रों भें भानशवक गुराभी के फीज फोए गए। उन ग्रॊथो भें मश बी शर ा गमा कक ळद्रू ों को (ब्रह्भ द्लाया) ऩदै ा कयने का उद्देश्म फव इतना शी था कक ळद्रू ों को शभेळा-शभेळा के शरए ब्राह्भण-ऩुयोहशतों की वेला कयने भें शी रगे यशना ाहशए औय ब्राह्भण-ऩुयोहशतों की भजी के ख राप कुछ बी नशीॊ कयना ाहशए। भतरफ, तबी इन्शें ईश्लय प्राप्त शोंगे औय इनका जीलन वाथकव शोगा। रेककन अफ इन ग्रथॊ ो के फाये भें कोई भाभूरी ढॊग वे बी वो े कक, मश फात कशाॉ तक वशी शै, क्मा ले व भु ईश्लय द्लाया प्रदत्त शैं, तो उन्शें इवकी वच् ाई तयु ॊत वभझ भें आ जाएगी। रेककन इव प्रकाय के ग्रथॊ ो वे वलळव जक्तभान, वजृष्ट का ननभावता जो ऩयभेश्लय शै, उवकी वभानत्ललादी दृजष्ट को फड़ा गौणत्ल प्राप्त शो गमा शै। इव तयश के शभाये जो ब्राह्भण-ऩडॊ ा-ऩुयोहशत लग व के बाई शैं, जजन्शें बाई कशने भें बी ळभ व आती शै, क्मोंकक उन्शोंने ककवी वभम ळूद्राहद-अनतळूद्रों को ऩूयी तयश वे तफाश कय हदमा था औय ले शी रोग अफ बी धभ व के नाभ ऩय, धभ व की भदद वे इनको ूव यशे शैं। एक बाई द्लाया दवू ये बाई ऩय जुल्भ कयना, मश बाई का धभ व नशी ॊ शै। कपय बी शभें, शभ वबी को उत्ऩन्नकताव के रयश्ते वे, उन्शें बाई कशना ऩड़ यशा शै। ले बी रु े रूऩ वे मश कशना छोड़ेंगे नशी,ॊ कपय बी उन्शें केलर अऩने स्लाथ व का शी ध्मान न य ते शुए न्मामफद्ु चध वे बी वो ना ाहशए। महद ऐवा नशीॊ कयेंगे। तो उन ग्रथॊ ो को दे कय-ऩन कय फद्ु चधभान अॊग्रेज, फ्रें , जभनव , अभेरयकी औय अन्म फद्ु चधभान रोग अऩना मश भत हदए त्रफना नशीॊ यशेंगे कक उन ग्रॊथो को (ब्राह्भणों ने) केलर अऩने भतरफ के शरए शर य ा शै। उन ग्रॊथो को भें शय तयश वे ब्राह्भण-ऩुयोहशतों का भशत्ल फतामा गमा शै। ब्राह्भण-ऩयु ोहशतों का ळद्रू ाहद-अनतळद्रू ों के हदरो-हदभाग ऩय शभेळा-शभेळा के शरए ल स्व ल फना यशे इवशरए उन्शें ईश्लय वे बी श्रेष्ठ वभझा गमा शै। ऊऩय जजनका नाभ ननदेळ ककमा गमा शै, उनभें वे कई अॊग्रेज रोगों ने इनतशावाहद ग्रॊथो भें कई जगश मश शर य ा शै कक ब्राह्भण-ऩॊडा-ऩुयोहशतों ने अऩने ननजी स्लाथ व के शरए अन्म रोगों को मानी ळूद्राहद-अनतळूद्रों को अऩना गुराभ फना शरमा शै। उन ग्रथॊ ो द्लाया ब्राह्भण-ऩुयोहशतों ने ईश्लय के लैबल को ककतनी ननम्न जस्थनत भें रा य ा शै, मश वशी भें फड़ा ळो नीम शै। जजव ईश्लय ने ळूद्राहद-अनतळूद्रों को औय अन्म रोगों को अऩने द्लाया ननशभतव इव वजृष्ट की वबी लस्तुओ ॊ को वभान रूऩ व े उऩबोग कयने की ऩूयी आजादी दी शै, उव ईश्लय के नाभ ऩय ब्राह्भण-ऩॊडा-ऩुयोहशतों एकदभ झूठ-भूठ ग्रॊथो की य ना कयके, उन ग्रॊथो भें वबी के (भानली) शक को नकायते शुए स्लमॊ भाशरक शो गए। इव फात ऩय शभाये कुछ ब्राह्भण बाई इव तयश प्रश्न उठा वकते शैं कक महद मे तभाभ ग्रॊथ झूठ-भूठ के शैं, तो उन ग्रथॊ ों ऩय ळद्रू ाहद-अनतळूद्रों के ऩलू जव ों ने क्मों आस्था य ी थी? औय आज इनभें वे फशुत वाये रोग क्मों आस्था य े शुए श?ैं इवका जलाफ मश शै कक आज के इव प्रगनत कार भें कोई ककवी ऩय जल्ु भ नशी ॊ कय वकता। भतरफ, अऩनी फात को राद नशीॊ वकता। आज वबी को अऩने भन की फात, अऩने अनुबल की फात स्ऩष्ट रूऩ वे शर ने मा फोरने की छूट शै। कोई धूत व आदभी ककवी फड़ े व्मजक्त के नाभ वे झूठा ऩत्र शर कय राए तो कुछ वभम के शरए उव ऩय बयोवा कयना शी ऩड़ता शै। फाद भें वभम के अनुवाय लश झूठ उजागय शो शी जाता शै। इवी तयश, ळूद्राहद- अनतळद्रू ों का, ककवी वभम ब्राह्भण-ऩॊडा-ऩुयोहशतों के जल्ु भ औय ज्मादनतमों के शळकाय शोने की लजश वे, अनऩन गॉलाय फना कय य ने की लजश वे, ऩतन शुआ शै। ब्राह्भणों ने अऩने स्लाथ व के शरए वभथ व (याभदाव)[2] के नाभ ऩय झूठे-ऩाॊ डी ग्रॊथों की य ना कयके ळद्रू ाहद-अनतळद्रू ों को गुभयाश ककमा औय आज बी इनभें वे कई रोगों को ब्राह्भण-ऩुयोहशत रोग गुभयाश कय यशे शैं, मश स्ऩष्ट रूऩ वे उक्त कथन की ऩुजष्ट कयता शै। ब्राह्भण-ऩॊडा-ऩुयोहशत रोग अऩना ऩेट ऩारने के शरए, अऩने ऩा डॊ ी ग्रॊथो द्लाया, जगश-जगश फाय-फाय असानी ळूद्रों को उऩदेळ देते यशे, जजवकी लजश वे उनके हदरों-हदभाग भें ब्राह्भणों के प्रनत ऩज्ू मफद्ु चध उत्ऩन्न शोती यशी। इन रोगों को उन्शोंने (ब्राह्भणों ने) इनके भन भें ईश्लय के प्रनत जो बालना शै, लशी बालना अऩने को (ब्राह्भणों को) वभवऩतव कयने के शरए भजफूय ककमा। मश कोई वाधायण मा भाभरू ी अन्माम नशीॊ शै। इवके शरए उन्शें ईश्लय के जलाफ देना शोगा। ब्राह्भणों के उऩदेळों का प्रबाल अचधकाळॊ असानी ळद्रू रोगों के हदरो- हदभाग ऩय इव तयश वे जड़ जभाए शुए शै कक अभेरयका के (कारे) गुराभों की तयश जजन दष्ु ट रोगों ने शभें गुराभ फना कय य ा शै, उनवे रड़ कय भुक्त (आजाद) शोने की फजाए जो शभें आजादी दे यशे शैं, उन रोगों के वलरुद्ध कपजूर कभय कव कय रड़ने के शरए तमै ाय शुए शैं। मश बी एक फड़ े आश् म व की फात शै कक शभ रोगों ऩय जो कोई उऩकाय कय यशे शैं, उनवे कशना कक शभ ऩय उऩकाय भत कयो, कपरशार शभ जजव जस्थनत भें शैं लशी जस्थनत ठीक शै, मशी कश कय शभ ळाॊत नशीॊ शोते फजल्क उनवे झगड़ने के शरए बी तैमाय यशते शैं, मश गरत शै। लास्तल भें शभको गुराभी वे भक्ु त कयनेलारे जो रोग शैं, उनको शभें आजाद कयाने वे कुछ हशत शोता शै, ऐवा बी नशीॊ शै, फजल्क उन्शें अऩने शी रोगों भें वे वैकड़ों रोगों की फशर नानी ऩड़ती शै। उन्शें फड़ी- फड़ी जोख भें उठा कय अऩनी जान ऩय बी तया झेरना ऩड़ता शै। अफ उनका इव तयश वे दवू यों के हशतों का यषण कयने के शरए अगुलाई कयने का उद्देश्म क्मा शोना ाहशए, महद इव वफॊ ॊध भें शभने गशयाई वे वो ा तो शभायी वभझ भें आएगा कक शय [i] भनुष्म को आजाद शोना ाहशए, मशी उवकी फुननमादी जरूयत शै। जफ व्मजक्त आजाद शोता शै तफ उवे अऩने भन के बालों औय वल ायों को स्ऩष्ट रूऩ वे दवू यों के वाभने प्रकट कयने का भौका शभरता शै। रेककन जफ वे आजादी नशीॊ शोती तफ लश लशी भशत्लऩूण व वल ाय, जनहशत भें शोने के फालजूद दवू यों के वाभने प्रकट नशीॊ कय ऩाता औय वभम गुजय जान े के फाद ले वबी रुप्त शो जाते शैं। आजाद शोने वे भनुष्म अऩने वबी भानली अचधकाय प्राप्त कय रेता शै औय अवीभ आनदॊ का अनुबल कयता शै। वबी भनुष्मों को भनुष्म शोने के जो वाभान्म अचधकाय, इव वजृष्ट के ननमॊत्रक औय वलवव ाषी ऩयभेश्लय द्लाया हदए गए शैं, उन तभाभ भानली अचधकायों को ब्राह्भण-ऩॊडा- ऩुयोहशत लग व ने दफो कय य ा शै। अफ ऐवे रोगों वे अऩने भानली अचधकाय छीन कय रेने भें कोई कवय फाकी नशीॊ य नी ाहशए। उनके शक उन्शें शभर जाने वे उन अॊग्रेजों को ळु ी शोती शै। वबी को आजादी दे कय, उन्शें जल्ु भी रोगों के जुल्भ वे भक्ु त कयके व ु ी फनाना, मशी उनका इव तयश वे तया भोर रेने का उद्देश्म शै। लाश! लाश! मश ककतना फड़ा जनहशत का काम व शै! उनका इतना अच्छा उद्देश्म शोने की लजश वे शी ईश्लय उन्शें, ले जशाॉ गए, लशा ॉ ज्मादा वे ज्मादा काभमाफी देता यशा शै। औय अफ आगे बी उन्शें इव तयश के अच्छे काभों भें उनके प्रमाव वपर शोते यशे, उन्शें काभमाफी शभरती यशे, मशी शभ बगलान वे प्राथनव ा कयते शैं। दक्षषण अभेरयका औय अफ्रीका जैवे ऩथ्ृ ली के इन दो फड़ े हशस्वो भें वकै ड़ो वार वे अन्म देळों वे रोगों को ऩकड़-ऩकड़ कय मशाॉ उन्शें गुराभ फनामा जाता था। मश दावों को यीदने-फे ने की प्रथा मूयोऩ औय तभाभ प्रगनतळीर कशराने लारे याष्रों के शरए फड़ी रज्जा की फात थी। उव करकॊ को दयू कयने के शरए अॊग्रेज, अभेरयकी आहद उदाय रोगों ने फड़ी-फड़ी रड़ाइमाॉ रड़ कय अऩने नुकवान की फात तो दयककनाय, उन्शोंने अऩनी जान की ऩयलाश नशीॊ की औय गुराभों की भुजक्त के शरए रड़ते यशे। मश गुराभी प्रथा कई वारों वे री आ यशी थी। इव अभानलीम गरु ाभी प्रथा को वभूर नष्ट कय देने के शरए अवॊख्म गरु ाभों को उनके ऩयभवप्रम भाता-वऩता वे, बाई-फशनों वे, फीली-फच् ों वे, दोस्त-शभत्रों वे जदु ा कय देने की लजश वे जो मातनाएॉ वशनी ऩड़ी,ॊ उववे उन्शें भुक्त कयने के शरए उन्शोंने वघॊ ऴ व ककमा। उन्शोंने जो गुराभ एक दवू ये वे जुदा कय हदए गए थे, उन्शें एक-दवू ये के वाथ शभरा हदमा। लाश! अभेरयका आहद वदा ायी रोगों ने ककतना अच्छा काभ ककमा शै! महद आज उन्शें इन गयीफ अनाथ गुराभों की फदतय जस्थनत दे कय दमा न आई शोती तो मे गयीफ फे ाये अऩने वप्रमजनों वे शभरने की इच्छा भन-शी-भन भें य कय भय गए शोते। दवू यी फात, उन गुराभों को ऩकड़ कय रानेलारे दष्ु ट रोग उन्शें क्मा अच्छी तयश य ते बी मा नशी?ॊ नशी,ॊ नशीॊ! उन गरु ाभों ऩय ले रोग जजव प्रकाय वे जल्ु भ ढाते थे, उन जल्ु भों, की कशानी वनु ते शी ऩत्थयहदर आदभी की आॉ े बी योने रगेंगी। ले रोग उन गुराभों को जानलय वभझ कय उनवे शभेळा रात-जतू ों वे काभ रेते थे। ले रोग उन्शें कबी-कबी रशरशाती धऩू भें शर जुतला कय उनवे अऩनी जभीन जोत-फो रेते थे औय इव काभ भें महद उन्शोंने थोड़ी वी बी आनाकानी की तो उनके फदन ऩय फैरों की तयश छाॉटे वे घाल उताय देते थे। इतना शोने ऩय बी क्मा ले उनके ान-ऩान की अच्छी व्मलस्था कयते शोंगे? इव फाये भें तो कशना शी क्मा! उन्शें केलर एक वभम का ाना शभरता था। दवू ये वभम कुछ बी नशीॊ। उन्शें जो बी ाना शभरता था, लश बी फशुत शी थोड़ा-वा। इवकी लजश वे उन्शें शभेळा आधे बू े ऩेट शी यशना ऩड़ता था। रेककन उनवे छाती ूय- ूय शोने तक, भुॉश वे नू पेंकने तक हदन बय काभ कयलामा जाता था औय यात को उन्शें जानलयों के कोठे भें मा इव तयश की गदॊ ी जगशों भें वोने के शरए छोड़ हदमा जाता था, जशाॉ थक कय आने के फाद ले गयीफ फे ाये उव ऩथयीरी जभीन ऩय भदु ों की तयश वो जाते थे। रेककन आॉ ों भें ऩमावप्त नीदॊ कशाॉ वे शोगी? फे ायों को आख य नीदॊ आएगी बी कशाॉ वे? इवभें ऩशरी फात तो मश थी के ऩता नशी ॊ भाशरक को ककव वभम उनकी गयज ऩड़ जाए औय उवका फुराला आ जाए, इव फात का उनको जफयदस्त डय रगा यशता था। दवू यी फात तो मश थी कक ऩेट भें ऩमावप्त भात्रा भें बोजन नशीॊ शोने की लजश वे जी घफयाता था औय टाॉग रड़ ड़ा ने रगती थी। तीवयी फात मश थी कइ हदन-बय-फदन ऩय छाटॉ े के लाय फयवते यशने वे वाया फदन रशूरुशान शो जाता औय उवकी मातनाए ॉ इतनी जफदवस्त शोती थी ॊ कक ऩानी भें भछरी की तयश यात-बय तड़पड़ाते शुए इव कयलट ऩय शोना ऩड़ता था। ौथी फात मश थी कक अऩने रोग ऩाव न शोने की लजश वे उव फात का ददव तो औय बी बमॊकय था। इव तयश फातें भन भें आने वे मातनाओॊ के ढेय ड़ े शो जाते थे औय आॉ े योने रगती थीॊ। ले फे ाये बगलान वे दआु भाॉगते थे कक 'शे बगलान! अफ बी तुझको शभ ऩय दमा नशीॊ आती! तू अफ शभ ऩय यशभ कय। अफ शभ इन मातनाओ ॊ को फदावश्त कयने के बी कात्रफर नशी ॊ यशे शैं। अफ शभायी जान बी ननकर जाए तो अच्छा शी शोगा।' इव तयश की मातनाएॉ वशते-वशते, इव तयश वे वो ते-वो ते शी वायी यात गजु य जाती थी। उन रोगों को जजव-जजव प्रकाय की ऩीड़ाओ ॊ को, मातनाओॊ को वशना ऩड़ा, उनको महद एक-एक कयके कशा जाए तो बाऴा औय वाहशत्म के ळोक-यव के ळब्द बी पीके ऩड़ जाएगॉ े, इवभें कोई वॊदेश नशी।ॊ तात्ऩम,व अभेरयकी रोगों ने आज वकै ड़ों वार वे री आ यशी इव गुराभी की अभानलीम ऩयॊऩया को वभाप्त कयके गयीफ रोगों को उन ॊड रोगों के जल्ु भ वे भुक्त कयके उन्शें ऩूयी तयश वे वु की जजदॊ गी फख्ळी शै। इन फातों को जान कय ळद्रू ाहद- अनतळद्रू ों को अन्म रोगों की तुरना भें फशुत शी ज्मादा ळु ी शोगी, क्मोंकक गुराभी की अलस्था भें गुराभ रोगों को, गुराभ जानतमों को ककतनी मातनाएॉ फदावश्त कयनी ऩड़ती शैं, इवे स्लमॊ अनबु ल ककए त्रफना अदॊ ाज कयना नाभुभककन शै। जो वशता शै, लशी जानता शै अफ उन गुराभों भें औय इन गुराभों भें पकव इतना शी शोगा कक ऩशरे प्रकाय के गुराभों को ब्राह्भण- ऩुयोहशतों ने अऩने फफयव शभरों वे ऩयाजजत कयके गुराभ फनामा था औय दवू ये प्रकाय के गुराभों को दष्ु ट रोगों ने एकाएक जल्ु भ कयके गुराभ फनामा था। ळऴे फातों भें उनकी जस्थनत वभान शै। इनकी जस्थनत औय गुराभों की जस्थनत भें फशुत पकव नशीॊ शै। उन्शोंने जजव-जजव प्रकाय की भुवीफतों को फदावश्त ककमा शै; ले वबी भुवीफतें ब्राह्भण-ऩॊडा-ऩुयोहशतों द्लाया ढाए जल्ु भों वे कभ शैं। महद मश कशा जाए कक उन रोगों वे बी ज्मादा ज्मादनतमा ॉ इन ळद्रू ाहद-अनतळद्रू ों को फदाश्व त कयनी ऩड़ी शैं, तो इवभें ककवी तयश का वॊदेश नशीॊ शोना ाहशए। इन रोगों को जो जल्ु भ वशना ऩड़ा, उवकी एक-एक दास्तान वनु ते शी ककवी बी ऩत्थयहदर आदभी को शी नशीॊ फजल्क वाषात ऩत्थय बी वऩघर कय उवभें वे ऩीड़ाओॊ के आॉवओु ॊ की फान ननकर ऩड़गे ी औय उव फान वे धयती ऩय इतना फशाल शोगा कक जजन ऩूलजव ों ने ळद्रू ाहद-अनतळद्रू ों को गुराभ फनामा, उनके आज के लॊळज जो ब्राह्भण, ऩुयोहशत बाई शैं उनभें वे जो अऩने ऩूलजव ों की तयश ऩत्थयहदर नशी,ॊ फजल्क जो अऩने अदॊ य के भनुष्मत्ल को जाग्रत य कय वो ते शैं, उन रोगों को मश जरूय भशवूव शोगा कक मश एक जरप्ररम शी शै। शभायी दमार ु अॊग्रेज वयकाय को, ळूद्राहद-अनतळूद्रों ने ब्राह्भण-ऩॊडा-ऩुयोहशतों वे ककव-ककव प्रकाय का जुल्भ वशा शै औय आज बी वश यशे शैं, इवके फाये भें कुछ बी भारूभात नशीॊ शै। ले रोग महद इव वफॊ ॊध भें ऩूछ्ताछ कयके कुछ जानकायी शाशवर कयने की कोशळळ कयेंगे तो उन्शें मश वभझ भें आ जाएगा कक उन्शोंने हशदॊ स्ु थान का जो बी इनतशाव शर ा शै उवभें एक फशुत फड़,े फशुत बमॊ कय औय फशुत शी भशत्लऩूण व हशस्वे को नजयअदॊ ाज ककमा शै। उन रोगों को एक फाय बी ळूद्राहद्र-अनतळद्रू ों के द ु -ददों की जानकायी शभर जाए तो वच् ाई वभझ भें आ जाएगी औय उन्शें फड़ी ऩीड़ा शोगी। उन्शें अऩने (धभ)व ग्रथॊ ों भें, बमॊकय फुयी अलस्था भें ऩशु ाए गए औय ॊड रोगों द्लाया वताए शुए, जजनकी ऩीड़ाओॊ की कोई वीभा शी नशीॊ शै, ऐवे रोगों की दयु ालस्था को उऩभा देना शो तो ळूद्राहद-अनतळद्रू ों की जस्थनत की शी उऩभा उच त शोगी, ऐवा भुझे रगता शै। इववे कवल को फशुत वलऴाद शोगा। कुछ को अच्छा बी रगेगा कक आज तक कवलताओॊ भें ळोक यव की ऩूयी तवलीय श्रोताओॊ के भन भें स्थावऩत कयने के शरए कल्ऩना की ऊॉ ी उड़ाने बयनी ऩड़ती थीॊ, रेककन अफ उन्शें इव तयश की काल्ऩननक हदभागी कवयत कयने की जरूयत नशीॊ ऩड़गे ी, क्मोंकक अफ उन्शें मश स्लमॊबोचगमों का जजॊदा इनतशाव शभर गमा शै। महद मशी शै तो आज के ळूद्राहद-अनतळद्रू ों के हदर औय हदभाग अऩने ऩूलजव की दास्तानें वनु कय ऩीड़ड़त शोते शोंगे, इवभें कुछ बी आश् म व नशीॊ शोना ाहशए, क्मोंकक शभ जजनके लॊळ भें ऩदै ा शुए शैं, जजनवे शभाया नू का रयश्ता शै, उनकी ऩीड़ा वे ऩीड़ड़त शोना स्लाबावलक शै। ककवी वभम ब्राह्भणों की याजवत्ता भें शभाये ऩूलजव ों ऩय जो बी कुछ ज्मादनतमाॉ शुईं, उनकी माद आते शी शभाया भन घफया कय थयथयाने रगता शै। भन भें इव तयश के वल ाय आने ळुरू शो जाते शैं कक जजन घटनाओॊ की माद बी इतनी ऩीड़ादामी शै, तो जजन्शोंने उन अत्मा ायों को वशा शै, उनके भन कक जस्थनत ककव प्रकाय की यशी शोगी, मश तो ले शी जान वकते शैं। इवकी अच्छी शभवार शभाये ब्राह्भण बाइमों के ( धभ)व ळास्त्रों भें शी शभरती शै। लश मश कक इव देळ के भूर ननलावी षत्रत्रम रोगों के वाथ ब्राह्भण-ऩुयोहशत लग व के भखु मा ऩयळुयाभ जैवे व्मजक्त ने ककतनी क्ूयता फयती, मशी इव ग्रॊथ भें फताने का प्रमाव ककमा गमा शै। कपय बी उवकी क्ूयता के फाये भें इतना वभझ भें आमा शै कक उव ऩयळुयाभ ने कई षत्रत्रमों को भौत के घाट उताय हदमा था। औय उव (ब्राह्भण) ऩयळुयाभ ने षत्रत्रमों की अनाथ शुई नारयमों व,े उनके छोटे-छोटे ाय- ाय ऩाॉ -ऩाॉ भाश के ननदोऴ भावूभ फच् ों को जफयदस्ती छीन कय अऩने भन भें ककवी प्रकाय की हश कक ाशट न य ते शुए फड़ी क्ूयता वे उनको भौत के शलारे कय हदमा था। मश उव ब्राह्भण ऩयळुयाभ का ककतना जघन्म अऩयाध था। लश डॊ इतना शी कयके ुऩ नशी ॊ यशा, अऩने ऩनत के भौत वे व्मचथत कई नारयमों को, जो अऩने ऩेट के गब व की यषा कयने के शरए फड़ े दखु त भन वे जॊगरों-ऩशाड़ों भें बागे जा यशी थी,ॊ लश उनका कानतर शळकायी की तयश ऩीछा कयके, उन्शें ऩकड़ कय रामा औय प्रवूनत के ऩश् ात जफ उवे मश ऩता रता कक ऩुत्र की प्राजप्त शुई शै, तो लश ॊड शो कय आता औय प्रवनू तळदु ा नारयमों का कत्र कय देता था। इव तयश की कथा ब्राह्भण ग्रथॊ ों भें शभरती शै। औय जो ब्राह्भण रोग उनके वलयोधी दर के थे, उनवे उव वभम की वशी जस्थनत वभझ भें आएगी, मश तो शभें वऩने भें बी नशीॊ वो ना ाहशए। शभें रगता शै कक ब्राह्भणों ने उव घटना का फशुत फड़ा हशस्वा ुयामा शोगा। क्मोंकक कोई बी व्मजक्त अऩने भुॉश वे अऩनी गरनतमों को कशने की हशम्भत नशीॊ कयता। उन्शोंने उव घटना को अऩने ग्रॊथ भें शर य ा शै, मशी फशुत फड़ े आश् म व की फात शै। शभाये वाभने मश वलार आता शै कक ऩयळुयाभ ने इक्कीव फाय षत्रत्रमों को ऩयाजजत कयके उनका वलनव ाळ क्मों ककमा औय उनकी अबागी नारयमों के अफोध, भावूभ फच् ों का बी कत्र क्मों ककमा? ळामद इवभें उवे फड़ा ऩरुु ऴाथ व हद ता शो औय उवकी मश फशादयु ी फाद भें आनेलारी ऩीहनमों को बी भारूभ शो, इवशरए ब्राह्भण ग्रॊथकायों ने इव घटना को अऩने ळास्त्रों भें शर य ा शै। रोगों भें एक कशालत प्र शरत शै कक शथेरी वे वूयज को नशीॊ ढका जा वकता। उवी प्रकाय मश शकीकत, जफकक उनको ळशभदिं ा कयनेलारी थी, कपय बी उनकी इतनी प्रशवद्चध शुई कक उनवे कक ब्राह्भणों ने उव घटना ऩय, जजतना ऩयदा डारना वॊबल शुआ, उतनी कोशळळ उन्शोंने की, औय जफ कोई इराज शी नशी ॊ फ ा तफ उन्शोंने उव घटना को शर कय य हदमा। शा,ॉ ब्राह्भणों ने इव घटना की जजतनी शकीकत शर कय य दी, उवी के फाये भें महद कुछ वो -वल ाय ककमा जाए तो भन को फड़ी ऩीड़ा शोती शै क्मोंकक ऩयळयु ाभ ने जफ उन षत्रत्रम गबधव ारयनी नारयमों का ऩीछा ककमा तफ उन गशबनवनमों को ककतनी मातनाएॉ वशनी ऩड़ी शोंगी! ऩशरी फात तो मश कक नारयमों को बाग-दौड़ कयने की आदत फशुत कभ शोती शै। उवभें बी कई नारयमाॉ भोटी औय कुरीन शोने की लजश वे, जजनको अऩने घय की दशरीज ऩय नना बी भारूभ नशी ॊ था, घय के अॊदय उन्शें जो कुछ जरूयत शोती, लश वफ नौकय रोग रा कय देते थे। भतरफ जजन्शोंने फड़ी वशजता वे अऩने जीलन का ऩारन-ऩोऴण ककमा था, उन ऩय जफ अऩने ऩेट के गब व के फोझ को रे कय वूयज की रशरशाती धूऩ भें टेने-भेने यास्तों वे बागने की भुवीफत आई, इवका भतरफ शै कक ले बमकॊ य आऩवत्त के शळकाय थी।ॊ उनको दौड़-बाग कयने की आदत त्रफरकुर शी नशीॊ शोने की लजश वे ऩालॉ वे ऩाॉल टकयाते थे औय कबी धड़ल्रे वे ट्टान ऩय तो कबी ऩशाड़ की ाइमों भें चगयती शोंगी। उववे कुछ नारयमों के भाथे ऩय, कुछ नारयमों की कुशनी को, कुछ नारयमों के घुटनों को औय कुछ नारयमों के ऩाॉल को ठेव- यों रग कय नू की धायाए ॉ फशती शोंगी। औय ऩयळुयाभ ऩीछे- ऩीछे दौड़ कय आ यशा शै, मश वुन कय औय बी तेजी वे बागने-दौड़ने रगती शोंगी। यास्ते भें बागते-दौड़ते वभम उनके नाजकु ऩाॉलों भें काटॉ े, कॊकड़ ुबते शोंगे। कॊटीरे ऩेड़-ऩौधों वे उनके फदन वे कऩड़ े बी पट गए शोंगे औय उन्शें काटॉ े बी ुबे शोंगे। उवकी लजश वे उनके नाजकु फदन वे रशू बी फशता शोगा। रशरशाती धऩू भें बागते-बागते उनके ऩाॉल भें छारे बी ऩड़ गए शोंगे। औय कभर के डठॊ र के वभान नाजुक नीरलण व कानॊ त भुयझा गई शोगी। उनके भुॉश वे पेन फशता शोगा। उनकी आॉ ों भें आॉव ू बय आए शोंगे। उनके भुॉश को एक एक-हदन, दो-दो हदन ऩानी बी नशीॊ छुआ शोगा। इवशरए फेशद थकान वे ऩेट का गब व ऩेट भें शी ळोय भ ाता शोगा। उनको ऐवा रगता शोगा कक महद अफ धयती पट जाए तो ककतना अच्छा शोता। भतरफ उवभें ले अऩने- आऩको झोंक देती औय इव ॊड वे भक्ु त शो जाती। ऐवी जस्थनत भें उन्शोंने आॉ ें पाड़-पाड़ कय बगलान की प्राथनव ा ननजश् त रूऩ वे की शोगी कक 'शे बगलान! तूने शभ ऩय मश क्मा जल्ु भ ढाएॉ शैं? शभ स्लम ॊ फरशीन शैं, इवशरए शभको अफरा कशा जाता शैं। शभें शभाये ऩनतमों का जो कुछ फर प्राप्त था, लश बी इव ॊड ने छीन शरमा शै। मश वफ भारूभ शोने ऩय बी त ू फुजहदर शो कय कामय की तयश शभायी ककतनी इजम्तशान रे यशा शै! जजवने शभाये ळौशय को भाय डारा औय शभ अफराओॊ ऩय शचथमाय उठाए शुए शै औय इवी भें जो अऩना ऩुरूऴाथ व वभझता शै, ऐवे ॊड के अऩयाधों को दे कय तू वभथ व शोने ऩय बी भुॉश भें उॉगरी दफाए ऩत्थय जैवा फशया अॊधा क्मों फन फठै ा शैं?' इव तयश ले नारयमाॉ फेवशाया शो कय ककवी के वशाये की तराळ भें भुॉश उठाए ईश्लय की मा ना कय यशी थी।ॊ उवी वभम ॊड ऩयळुयाभ ने लशाॉ ऩशुॉ कय उन अफराओॊ को नशीॊ बगामा शोगा? कपय तो उनकी मातनाओॊ की कोई वीभा शी नशीॊ यशी शोगी। उनभें वे कुछ नारयमों ने फेहशवाफ च ल्रा-च ल्रा कय, ी ी कय अऩनी जान गॉलाई शोगी? औय ळेऴ नारयमों ने फड़ी वलनम्रता वे उव ॊड ऩयळुयाभ वे दमा की बी नशीॊ भाॉगी शोगी कक 'शे ऩयळयु ाभ, शभ आऩवे इतनी शी दमा की बी भाॉगना ाशते शैं कक शभाये गब व वे ऩदै ा शोनेलारे अनाथ फच् ों की जान फख्ळो! शभ वबी आऩके वाभने इवी के शरए अऩना आॉ र ऩवाय यशें शैं। आऩ शभ ऩय इतनी शी दमा कयो। अगय आऩ ाशते शो तो शभायी जान बी रे वकते शो, रेककन शभाये इन भावूभ फच् ों की जान न रो! आऩने शभाये ळौशय को फड़ी फेयशभी वे भौत के घाट उताय हदमा शै, इवशरए शभें फेवभम लैधव्म प्राप्त शुआ शै। औय अफ शभ वबी प्रकाय के वु ों वे कोवों दयू रे गए शैं। अफ शभें आगे फार-फच् ों शोने की बी कोई उम्भीद नशीॊ यशी। अफ शभाया वाया ध्मान इन फच् ों की ओय रगा शुआ शै। अफ शभें इतना शी वु ाहशए। शभाये वु की आळा स्लरूऩ शभाये मे जो भावूभ फच् े शैं, उनको बी जान वे भाय कय शभें आऩ क्मों तड़पड़ाते दे ना ाशते शो? शभ आऩवे इतनी शी बी भाॉगते शैं। लैवे तो शभ आऩके धभ व की शी वॊतान शैं। ककवी बी तयश वे क्मों न शो, आऩ शभ ऩय यशभ कीजजए। इतने करूणाऩणू ,व बालऩूण व ळब्दों वे उव ॊड ऩयळुयाभ का हदर कुछ न कुछ तो वऩघर जाना ाहशए था, रेककन आख य ऩत्थय-ऩत्थय शी वात्रफत शुआ। लश उन्शें प्रवतू शुए दे कय उनवे उनके नलजात शळळु छीनने रगा। तफ मे उन नलजात शळळओु ॊ की यषा के शरए उन ऩय औधॊ ी चगय ऩड़ी शोंगी औय गदवन उठा कय कश यशी शोंगी के 'शे ऩयळुयाभ, आऩको महद इन नलजात शळळुओॊ की शी जान रेनी शै तो वफवे ऩशरे मशी फेशतय शोगा कक शभाये शवय काट रो, कपय शभाये ऩश् ात आऩ जो कयना ाशें वो कय रो, ककॊत ु शभायी आॉ ों के वाभने शभाये उन नन्शें-भुन्शें फच् ों की जान न रो! 'रेककन कशते शैं न, कुत्ते की दभु टेनी की टेनी शी यशती शै। उवने उनकी एक बी न वनु ी। मश ककतनी नी ता! उन नारयमों को गोद भें ेर यशे उन नलजात शळळुओॊ को जफदवस्ती छीन शरमा गमा शोगा, तफ उन्शें जो मातनाएॉ शुई शोंगी, जो भानशवक ऩीड़ाएॉ शुई शोंगी, उव जस्थनत को ळब्दों भें व्मक्त कयने के शरए शभाये शाथ की करभ थयथयाने रगती शै। यै , उव जल्राद ने उन नलजात शळळुओ ॊ की जान उनकी भाताओ ॊ की आॉ ों के वाभने री शोगी। उव वभम कुछ भाताओॊ ने अऩनी छाती को ऩीटना, फारों को नों ना औय जभीन को कूदेयना ळुरू कय हदमा शोगा। उन्शोंने अऩने शी शाथ वे अऩने भुॉश भें शभट्टी के ढरे ठूॉव-ठूॉव कय अऩनी जान बी गॉला दी शोगी। कुछ भाताएॉ ऩुत्र ळोक भें फेशोळ शो कय चगय ऩड़ी शोंगी। उनके शोळ-शलाव बूर गए शोंगे। कुछ भाताएॉ ऩुत्र ळोक के भाये ऩागर-वी शो गई शोंगी। 'शाम भेया फच् ा, शाम भेया फच् ा!' कयते-कयते दय-दय, गाॉल-गाॉल, जॊगर-जॊगर बटकती शोंगी। रेककन इव तयश वायी शकीकत शभें ब्राह्भण-ऩुयोहशतों वे शभर वकेगी, मश उम्भीद रगाए यशना कपजूर की फातें शैं। इव तयश ब्राह्भण-ऩुयोहशतों के ऩूलजव , अचधकायी ऩयळुयाभ ने वैकड़ों षत्रत्रमों को जान वे भाय कय उनके फीली-फच् ों के बमकॊ य फुये शार ककए औय उवी को आज के ब्राह्भणों ने ळद्रू ाहद-अनतळूद्रों का वलळव जक्तभान ऩयभेश्लय, वायी वजृष्ट का ननभातव ा कशने के शरए कशा शै, मश ककतने फड़ े आश् म व की फात शैं! ऩयळुयाभ के ऩश् ात ब्राह्भणों ने इन्शें कभ ऩयेळान नशीॊ ककमा शोगा। उन्शोंने अऩनी ओय वे जजतना वतामा जा वकता शै, उतना वताने भें कोई कवय फाकी छोड़ी नशी ॊ शोगी। उन्शोंने घणृ ा वे इन रोगों भें वे अचधकाॊळ रोगों के बमकॊ य फुये शार ककए। उन्शोंने इनभें वे कुछ रोगों को इभायतों-बलनों की नीॊल भें जजॊदा गाड़ देने भें बी कोई आनाकानी नशीॊ की, इव फाये भें इव ग्रॊथ भें शर ा गमा शै। उन्शोंने इन रोगों को इतना नी वभझा था कक ककवी वभम कोई ळद्रू नदी के ककनाये अऩने कऩड़ े धो यशा शो औय इवत्तपाक वे लशाॉ महद कोई ब्राह्भण आ जाए, तो उव ळूद्र को अऩने वबी कऩड़ े वभेट कयके फशुत दयू , जशाॉ वे ब्राह्भण के तन ऩय ऩानी का एक भाभूरी कतया बी ऩड़ने की कोई वबॊ ालना न शो, ऐवे ऩानी के फशाल के नी े की जगश ऩय जा कय अऩने कऩड़ े धोना ऩड़ता था। महद लशाॉ वे ब्राह्भण के तन ऩय ऩानी की फदूॉ का एक कतया बी छू गमा, मा उवको इव तयश का वदॊ ेश बी शुआ, तो ब्राह्भण-ऩॊडा आग के ळोरे की तयश रार शो जाता था औय उव वभम उवके शाथ भें जो बी शभर जाए मा अऩने शी ऩाव के फतनव को उठा कय, न आल दे ा न ताल, उव ळद्रू के भाथे को ननळाना फना कय फड़ े जोय वे पेंक कय भायता था उववे उव ळद्रू का भाथा नू वे बय जाता था। फेशोळी भें जभीन ऩय चगय ऩड़ता था। कपय कुछ देय फाद शोळ आता था तफ अऩने नू वे बीगे शुए कऩड़ों को शाथ भें रे कय त्रफना ककवी शळकामत के, भुॉश रटकाए अऩने घय रा जाता था। महद वयकाय भें शळकामत कयो तो, ायों तयप ब्राह्भणळाशी का जार पैरा शुआ था; फजल्क शळकामत कयने का तया मश यशता था कक दु को शी वजा बोगने का भौका न आ जाए। अपवोव! अपवोव!! शे बगलान, मश ककतना फड़ा अन्माम शै! यै , मश एक ददवबयी कशानी शै, इवशरए कशना ऩड़ यशा शै। ककॊत ु इव तयश की औय इववे बी बमॊकय घटनाएॉ घटती थी,ॊ जजवका ददव ळद्रू ाहद-अनतळूद्रों को त्रफना शळकामत के वशना ऩड़ता था। ब्राह्भणलादी याज्मों भें ळूद्राहद-अनतळूद्रों को व्माऩाय-लाखणज्म के शरए मा अन्म ककवी काभ के शरए घूभना शो तो फड़ी कहठनाइमों का वाभना कयना ऩड़ता था, फड़ी कहठनाइमाॉ फदावश्त कयनी ऩड़ती थीॊ। इनके वाभने भुवीफतों का तातॉ ा रग जाता था। उवभें बी एकदभ वुफश के वभम तो फशुत बायी हदक्कतें ड़ी शो जाती थी,ॊ क्मोंकक उव वभम वबी ीजों की छामा कापी रॊफी शोती शै। महद ऐवे वभम ळामद कोई ळूद्र यास्ते भें जा यशा शो औय वाभने वे ककवी ब्राह्भण की वलायी आ यशी शै, मश दे कय उव ब्राह्भण ऩय अऩनी छामा न ऩड़,े इव डय वे कॊवऩत शो कय उवको ऩर-दो-ऩर अऩना वभम कपजूर फयफाद कयके यास्ते वे एक ओय शो कय लशी ॊ फैठ जाना ऩड़ता था। कपय उव ब्राह्भण के रे जाने के फाद उवको अऩने काभ के शरए ननकरना ऩड़ता था। भान रीजजए, कबी-कबाय फगैय मार के उवकी छामा उव ब्राह्भण ऩय ऩड़ी तो ब्राह्भण तुयॊत क्ोचधत शो कय ॊड फन जाता था औय उव ळूद्र को भयते दभ तक भायता-ऩीटता औय उवी लक्त नदी ऩय जा कय स्नान कय रेता था। ळूद्रों वे कई रोगों को (जानतमों को) यास्ते ऩय थकू ने की बी भनाशी थी। इवशरए उन ळूद्रों को ब्राह्भणों की फजस्तमों वे गजु यना ऩड़ा तो अऩने वाथ थूकने के शरए शभट्टी के ककवी एक फयतन को य ना ऩड़ता था। वभझ रो, उवकी थूक जभीन ऩय ऩड़ गई औय उवको ब्राह्भण-ऩॊडों ने दे शरमा तो उव ळद्रू के हदन बय गए। अफ उवकी यै नशी।ॊ इव तयश मे रोग (ळूद्राहद-अनतळूद्र जानतमाॉ) अनचगनत भुवीफतों को वशत-े वशते भहटमाभेट शो गए। रेककन अफ शभें ले रोग इव नयक वे बी फदतय जीलन वे कफ भजु क्त देते शैं, इवी का इॊतजाय शै। जैवे ककवी व्मजक्त ने फशुत हदनों तक जेर के अदॊ य जजदॊ गी गजु ाय दी शो, लश कैदी अऩन े वाथी शभत्रों वे फीली-फच् ों वे बाई-फशन वे शभरने के शरए मा स्लतॊत्र रूऩ वे आजाद ऩॊछी की तयश घूभने के शरए फड़ी उत्वकु ता वे जेर वे भुक्त शोने के हदन का इॊतजाय कयता शै, उवी तयश का इॊतजाय, फेवब्री इन रोगों को बी शोना स्लाबावलक शी शै। ऐवे वभम फड़ी ळु ककस्भत कहशए कक ईश्लय को उन ऩय दमा आई, इव देळ भें अॊग्रेजों की वत्ता कामभ शुई औय उनके द्लाया मे रोग ब्राह्भणळाशी की ळायीरयक गुराभी के भक्ु त शुए। इवीशरए के रोग अॊग्रेजी याजवत्ता का ळकु क्मा अदा कयते शैं। मे रोग अॊग्रेजों के इन उऩकायों को कबी बूरेंगे नशीॊ। उन्शोंने इन्शें आज वकै ड़ों कार वे री आ यशी ब्राह्भणळाशी की गुराभी की पौरादी जजॊ ीयों को तोड़ कयके भुजक्त की याश हद ाई शै। उन्शोंने इनके फीली-फच् ों को वु के हदन हद ाए शैं। महद ले मशाॉ न आते तो ब्राह्भणों ने, ब्राह्भणळाशी ने इन्शें कबी वम्भान औय स्लतॊत्रता की जजदॊ गी न गजु ायने दी शोती। इव फात ऩय कोई ळामद इव तयश का वॊदेश उठा वकता शै कक आज ब्राह्भणों की तुरना भें ळूद्राहद-अनतळूद्रों की वख्ॊ मा कयीफन दव गनु ा ज्मादा शै। कपय बी ब्राह्भणों ने ळद्रू ाहद-अनतळद्रू ों को कैवे भहटमाभेट कय हदमा? कैवे गुराभ फना शरमा? इवका जलाफ मश शै कक एक फद्ु चधभान, तुय आदभी इव असानी रोगों के हदरो-हदभाग को अऩने ऩाव चगयली य ा वकता शै। उन ऩय अऩना स्लाशभत्ल राद वकता शै। औय दवू यी फात मश शै कक दव अनऩन रोग महद एक शी भत के शोते तो ले उव फद्ु चधभान, तुय आदभी की दार ना गरने देते, एक न रने देते; ककॊतु ले दव रोग दव अरग-अरग भतों के शोने की लजश वे ब्राह्भणों-ऩुयोहशतों जैवे धतू ,व ऩा डॊ ी रोगों को उन दव शबन्न-शबन्न भतलादी रोगों को अऩने जार भें पॉवाने भें कुछ बी कहठनाई नशीॊ शोती। ळूद्राहद-अनतळूद्रों की वल ाय प्रणारी, भत भान्मताए ॉ एक दवू ये वे भेर-शभराऩ न कये, इवके शरए प्रा ीन कार भें ब्राह्भण-ऩुयोहशतों ने एक फशुत फड़ी धतू तव ाऩूण व औय फदभाळीबयी वल ायधाया ोज ननकारी। उन ळद्रू ाहद- अनतळद्रू ों के वभाज की वॊख्मा जैवे-जैवे फनने रगी, लवै े-लैवे ब्राह्भणों भें डय की बालना उत्ऩन्न शोने रगी। इवीशरए उन्शोंने ळद्रू ाहद-अनतळूद्रों के आऩव भें घणृ ा औय नपयत फनती यशे, इवकी मोजना तमै ाय की। उन्शोंन े वभाज भें प्रेभ के फजाम जशय के फीज फोए। इवभें उनकी ार मश थी के महद ळद्रू ाहद-आनतळद्रू (वभाज) आऩव भें रड़ते-झगड़ते यशेंगे तफ कशी ॊ मशा ॉ अऩने हटके यशने की फनु नमाद भजफूत यशेगी औय शभेळा-शभेळा के शरए उन्शें अऩना गुराभ फना कय फगैय भेशनत के उनके ऩवीने वे प्राप्त कभाई ऩय त्रफना ककवी योक-टोक के गुरछये उड़ाने का भौका शभरेगा। अऩनी इव ार, वल ायधाया को काभमाफी देने के शरए जानतबेद की पौरादी जशयीरी दीलायें ड़ी कयके, उन्शोंने इवके वभथनव भें अऩने जानत-स्लाथशव वद्चध के कई ग्रॊथ शर डारे। उन्शोंने उन ग्रॊथों के भाध्मभ वे अऩनी फातों को असानी रोगों के हदरों-हदभाग ऩय ऩत्थय की रकीय तयश शर हदमा। उनभें वे कुछ रोग जो ब्राह्भणों के वाथ फड़ी कड़ाई औय दृनता वे रड़,े उनका उन्शोंने एक लग व शी अरग कय हदमा। उनवे ऩूयी तयश फदरा ुकाने के शरए उनकी जो फाद की वतॊ ान शुई, उवको उन्शें छूना नशीॊ ाहशए, इव तयश की जशयीरी फातें ब्राह्भण-ऩॊडा-ऩुयोहशतों ने उन्शी ॊ रोगों के हदरो-हदभाग भें बय दी कपरशार जजन्शें भारी, कुनफी (कुभी आहद) कशा जाता शै। जफ मश शुआ तफ इवका ऩरयणाभ मश शुआ कक उनका आऩवी भेर-शभराऩ फॊद शो गमा औय ले रोग अनाज के एक-एक दाने के शरए भोशताज शो गए। इवीशरए इन रोगों को जीने के शरए भये शुए जानलयों का भावॊ भजफूय शो कय ाना ऩड़ा। उनके इव आ ाय-व्मलशाय को दे कय आज के ळद्रू जो फशुत शी अशॊकाय वे भारी, कुनफी, वुनाय, दयजी, रुशाय फनई (तेरी, कुभी) आहद फड़ी-फड़ी वॊसाए ॉ अऩने नाभ के वाथ रगाते शैं, ले रोग केलर इव प्रकाय का व्मलवाम कयते शैं। कशने का भतरफ मशी शै कक ले रोग एक शी घयाने के शोते शुए बी आऩव भें रड़ते-झगड़ते शैं औय एक दवू ये को नी वभझते शैं। इन वफ रोगों के ऩूलजव स्लदेळ के शरए ब्राह्भणों वे फड़ी ननबमव ता वे रड़ते यशे, इवका ऩरयणाभ मश शुआ के ब्राह्भणों ने इन वफको वभाज के नन रे स्तय ऩय रा कय य हदमा औय दय-दय के शब ायी फना हदमा। रेककन अपवोव मश शै कक इवका यशस्म ककवी के ध्मान भें नशीॊ आ यशा शै। इवशरए मे रोग ब्राह्भण-ऩॊडा-ऩयोहशतों के फशकाले भें आ कय आऩव भें नपयत कयना वी गए। अपवोव! अपवोव!! मे रोग बगलान की ननगाश भें ककतने फड़ े अऩयाधी शै! इन वफका आऩव भें इतना फड़ा नजदीकी वॊफॊध शोने ऩय बी ककवी त्मोशाय ऩय मे उनके दयलाजे ऩय ऩका-ऩकामा बोजन भाॉगने के शरए आते शैं तो ले रोग इनको नपयत की ननगाश वे शी नशी ॊ दे ते शैं, कबी-कबी तो डडॊ ा रे कय इन्शें भायने के शरए बी दौड़ते शैं। यै , इव तयश जजन-जजन रोगों ने ब्राह्भण-ऩॊडा- ऩुयोहशतों वे जजव-जजव तयश वे वॊघऴ व ककमा, उन्शोंने उवके अनुवाय जानतमों भें फाटॉ कय एक तयश वे वजा वुना दी मा जानतमों का हद ालटी आधाय दे कय वबी को ऩूयी तयश वे गुराभ फना शरमा। ब्राह्भण-ऩॊडा- ऩुयोहशतों वफ भें वलश्रव ेष्ठ औय वलाचव धकाय वॊऩन्न शो गए, शै न भजे की फात! तफ वे उन वबी के हदरो हदभाग आऩव भें उरझ गए औय नपयत वे अरग-अरग शो गए। ब्राह्भण-ऩुयोहशतों अऩने ऴड्मॊत्र भें काभमाफ शुए। उनको अऩना भन ाशा व्मलशाय कयने की ऩूयी स्लॊतत्रता शभर गई। इव फाये भें एक कशालत प्रशवद्ध शै कक 'दोनों का झगड़ा औय तीवये का राब' भतरफ मश शै कक ब्राह्भण-ऩॊडा-ऩुयोहशतों ने ळद्रू ाहद-अनतळद्रू ों के आऩव भें नपयत के फीज जशय की तयश फो हदए औय दु उन वबी की भेशनत ऩय ऐळोआयाभ कय यशे शैं। वॊषेऩ भें, ऊऩय कशा शी गमा शै कक इव देळ भें अॊग्रेज वयकाय आने बी लजश वे ळद्रू ाहद-अनतळद्रू ों की जजदॊ गी भें एक नई योळनी आई। मे रोग ब्राह्भणों की गुराभी वे भुक्त शुए, मश कशने भें ककवी प्रकाय का वॊको नशीॊ शै। कपय बी शभको मश कशने भें फड़ा ददव शोता शै कक अबी बी शभायी दमारु वयकाय के, ळूद्राहद-
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