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Sri Parasara Samhita : Hanuma Charitram - Vol -2 PDF

291 Pages·1998·5.1 MB·Sanskrit
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श्री पराशर संहिता (श्री दुभ श्वरितिम्‌) 20५ 16 २ ्स म्पाद क्‌ रुः १ गाधा प्रवीणः' साहि 001 श्यी विक्षारवं डो० अन्नदानं विदम्क,शरप्ी 79 (९, (सना चक्री यसू० ज सा सस्कुत ककारा तिम्मसमूद्रम्‌ - प्रकाशं मण्डलम्‌ = भरघ्र प्रदेशः बहुघाग्य - हनुमदुत्रतम्‌ 1998 - [)606111067 07168 ~ 1000 27106 : ० उ 50/ 07 00198 ४ ^. ¶ ^^ दा 7 64.87.501: रिवर9.8 दप) (1{.) 110 528 187 - 4. 7. 714 1 [ ह ^. ^. 127९6 1086 प्र २०४0, ४118४९० ६१४-5१0 009, नःय २८ 66६ ८०८८८८२१%.म न ैः पृ} 18 860} 18 एप 71181164 पा ४16 {थानंच 8881818.7166 9 (ए 1014 श्रा ०९ /49ा^^ 5 17467 #16}7 8016716 &1त 10 क प०11811 १911008 ०००४8, 11131121 ॐ 15 10111655 [2९24हपप 9 5४ (^^ ^^ 5४4 श्प 8170798 ^ ए4. 724 00 7.4^11.4 #-627 80 एरा11118त्‌प 1816 6--5---1, 8९828 811 1112, 18 2, 1088867 ए666 ० प्त 81) 21४11086 ४ 16 &62+ 4810 2798828 {# 18 10 ५10064०8 0 ततक्ष. तठ कना 6601007 91\8116760. &8 2 ]6्ुला१6ा$ 11९80 0 दाक 2212. 1706१६६. प्रश ्ा11182) 18 001811676त 10 106 (1112 फ] 21710 {116 {४16 27111118, 1, 6. 01*68.101, 2998.8 21911 {118 18 १1५10464 11110 86९ध्] 6110678» 68 81111 ५५1४1 80601770 २€8प]# 01616 1812115 6 0७19 16 8007819४ एप, 69615७८ 1014 पआ०9[110 1901 10 ककप्ष्च 81] प्रात: 81118, 71116 87 प]{ 160पश्‌ङ ्‌ 11 ४० 21 [01811 "16 ०१७8878. &81111111118. {621 18 104 छर 16 {7 60101101) पपर 28 1 ०668 "शृ 11 १०२8६९१, 88.113 111{118 18 {1211811672.16त 1 10 वषट 10, 1६ का]] 96 पडि 0 घ्य्‌] 11 [1त्‌2 ॐत ०48८ १०६१. 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[016810670{"8 [010 ब्रह्मश्री मद्‌दुरपरिकि माणिक्य शास्त्री प्रसा श्रीरस्तु । श्रीमद: अन्नदानं विदभ्बर शास्तरि महाः कादरा शद्रमूत्यंवताराणां श्री परदेबी स्वख्पाणां श्रीराम रम भक्ताग्रेसराणां येषां स्मरण मात्रेण सरवपुरुषा्ं सस्पृततिर्भव षां हनुमतां माहास्म्य प्रतिमादका “पराशर संहिता" महुग्र । च ग्रभ्यः कालवशेन अभ्तर्हतोऽपि सहनाकरेशेन तदुगरुव्रर सादवक्ञिन च सव॑जनानां एेहिकापुषपिक फल।तत्राप्तये नाग रः सम्यक्‌ प्रकाशित इति परमं प्रमोद मनुमवामि। अयं चाः पथः, परम प्रामाणिकः, हुनुमहैवताजनूुवह्‌।मिलाषिभिः सरव रसा संश्रुष्य पठनीयः । तत्प्रतिपादनानुसारेण हनुभानुपाः राधनीयः व्ययश्च । ममाऽपि आराधन पद्धतौ हनुमानेव य राधितः अनन्तरं सह्‌ गुरूणा मनुग्रह॒ वशेन धरदेवतानूप्रह्‌ पद विदा च ल्न्धा । चिदम्बर शास्तरि भहुलयैः एतद कारन दर्नानन्तरं मम हदि महुनी रात्तुष्टिः सभजनी वेदयामि । एवं निवेदिता जयवाडा तकवेदान्त सम्राट्‌, पहामहौपाध्याय ९-६-१९९७ भद्‌दुलपहिर माणिक्य शस्त्री चैः „ 9. 8. ९८& 1141710747;4/ 4 -0118.0691107 081112 8718 ]6{ $ 14 $४50661118 {एपए करए व४) (त्क 1-517 807 (4. 7.1 10.४6 14.10.199 " 1), 11108111.८ 8 कण [ वृषण कणा ए९एफ़ प्रप्ला। [ण इलातह ४6 १००18 1२6 4^ ६ .4. & ^ # प्र[ 1.4' * 524 0०11167 0118, पा. ए ४०. 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