539 । । �ीह�रः । । सं���त माक� �डेयपुराण (स�च�, मोटा टाइप, के वल �ह�द�) �वमेव माता च �पता �वमेव �वमेव ब�धु� सखा �वमेव । �वमेव �व�ा ��वणं �वमेव �वमेव सव� मम देवदेव । । सं० २०७४ इ�क�सवाँ पुनमु��ण ५,००० कुल मु�ण १,०३,००० �काशक— गीता�ेस, गोरखपुर—२७३००५ (गो�ब�दभवन-काया�लय, कोलकाता का सं�थान) फोन : (०५५१) २३३४७२१, २३३१२५०; फै�स : (०५५१) २३३६९९७ web : gitapress.org e-mail : [email protected] गीता�ेस �काशन gitapressbookshop.in से online खरीद�। । । �ीह�रः । । �नवेदन पुराण भारत तथा भारतीय सं�कृ �तक� सव��कृ � �न�ध ह�। ये अन�त �ान- रा�शके भ�डार ह�। इनम� इहलौ�कक सुख-शा��तसे यु� सफल जीवनके साथ-साथ मानवमा�के वा�त�वक ल�य—परमा�मत�वक� �ा��त तथा ज�म-मरणसे मु� होनेका उपाय और �व�वध साधन बड़े ही रोचक, स�य और �श�ा�द कथा�के �पम� उपल�ध ह�। इसी कारण पुराण�को अ�य�धक मह�व और लोक��यता �ा�त है; पर�तु आज ये अनेक कारण�से �ल�भ होते जा रहे ह�। पुराण�क� ऐसी मह�ा, उपयो�गता और �ल�भताके कारण कु छ पुराण�के सरल �ह�द�-अनुवाद ‘क�याण’के �वशेषाङ्कोके �पम� समय-समयपर �का�शत �कये जा चुके ह�। उनम� ‘सं���त माक� �डेय-��पुराणाङ्क’ भी एक है। ये दोन� पुराण सव��थम संयु��पसे ‘क�याण’ के इ�क�सव� (सन् १९४७ ई०) वष�के �वशेषाङ्कके �पम� �का�शत �ए थे। प�ात्, ��ालु पाठक�क� माँगपर अ�य पुराने �वशेषाङ्क�क� तरह इनके (संयु��पम�) कु छ पुनमु���त सं�करण भी �का�शत �ए। पुराण-�वषयक इन �वशेषाङ्क�क� लोक��यताको �यानम� रखते �ए अब पाठक�के सु�वधाथ� इस �कारसे संयु� दो पुराण�को अलग-अलग ��थाकारम� �का�शत करनेका �नण�य �लया गया है। तदनुसार यह ‘सं���त माक� �डेयपुराण’ आपक� सेवाम� ��तुत है। (इसी तरह ‘सं���त ��पुराण’ भी अब अलगसे ��थाकारम� उपल�ध है।) ‘माक� �डेयपुराण’ का अठारह पुराण�क� गणनाम� सातवाँ �थान है। इसम� जै�म�न-माक� �डेय-संवाद एवं माक� �डेय ऋ�षका अभूतपूव� आदश� जीवन-च�र�, राजा ह�र���का च�र�-�च�ण, जीवके ज�म-मृ�यु तथा महारौरव आ�द नरक�के वण�नस�हत �भ�-�भ� पाप�से �व�भ� नरक�क� �ा��तका �द�दश�न है। इसके अ�त�र� इसम� सती मदालसाका आदश� च�र�, गृह�थ�के सदाचारका वण�न, �ा�-कम�, योगचया� तथा �णवक� म�हमापर मह�वपूण� �काश डाला गया है। इसम� देवता�के अंशसे भगवती महादेवीका �ाक� और उनके �ारा सेनाप�तय�स�हत म�हषासुर-वधका वृ�ा�त भी �वशेष उ�लेखनीय है। इसम� �ी�गा�स�तशती स�पूण�—मूलके साथ �ह�द�-अनुवाद, माहा��य तथा पाठक� �व�धस�हत �व�तारसे व�ण�त है। इस �कार लोक-परलोक-सुधारहेतु इसका अ�ययन अ�त उपयोगी, मह�वपूण� और क�याणकारी है। अतएव क�याणकामी सभी साधक� और ��ालु पाठक�को इसके अ�ययन- अनुशीलन�ारा अ�धक-से-अ�धक लाभ उठाना चा�हये। —�काशक सं���त माक� �डेयपुराणक� �वषय-सूची �वषय १- जै�म�न-माक� �डेय-संवाद—वपुको �वा�साका शाप २- सुकृ ष मु�नके पु��के प�ीक� यो�नम� ज�म लेनेका कारण ३- धम�प�ी�ारा जै�म�नके ���का उ�र ४- राजा ह�र���का च�र� ५- �पता-पु�-संवादका आर�भ, जीवक� मृ�यु तथा नरक-ग�तका वण�न ६- जीवके ज�मका वृ�ा�त तथा महारौरव आ�द नरक�का वण�न ७- जनक-यम�त-संवाद, �भ�-�भ� पाप�से �वा�भ� नरक�क� �ा��तका वण�न ८- पाप�के अनुसार �भ�-�भ� यो�नय�क� �ा��त तथा �वप��त् के पु�यदानसे पा�पय�का उ�ार ९- द�ा�ेयजीके ज�म-�स�म� एक प�त�ता �ा�णी तथा अनसूयाजीका च�र� १०- द�ा�ेयजीके ज�म और �भावक� कथा ११- अलक�पा�यानका आर�भ—नागकु मार�के �ारा ऋत�वजके पूव�वृ�ा�तका वण�न १२- पातालके तुका वध और मदालसाके साथ ऋत�वजका �ववाह १३- तालके तुके कपटसे मरी �ई मदालसाक� नागराजके फणसे उ�प�� और ऋत�वजका पाताललोकम� गमन १४- ऋत�वजको मदालसाक� �ा��त, बा�यकालम� अपने पु��को मदालसाका उपदेश १५- मदालसाका अलक� को राजनी�तका उपदेश १६- मदालसाके �ारा वणा��मधम� एवं गहृ �थके कत��का वण�न १७- �ा�-कम�का वण�न १८- �ा�म� �व�हत और �न�ष� व�तुका वण�न तथा गहृ �थो�चत सदाचारका �न�पण १९- �या�य-�ा�, ��शु��, अशौच-�नण�य तथा कत��ाकत��का वण�न २०- सुबा�क� �ेरणासे का�शराजका अलक� पर आ�मण, अलक� का द�ा�ेयजीक� शरणम� जाना और उनसे योगका उपदेश लेना २१- योगके �व�न, उनसे बचनेके उपाय, सात धारणा, आठ ऐ�य� तथा योगीक� मु�� २२- योगचया�, �णवक� म�हमा तथा अ�र��का वण�न और उनसे सावधान होना २३- अलक� क� मु�� एवं �पता-पु�के संवादका उपसंहार २४- माक� �डेय-�ौ�ु�क-संवादका आर�भ, �ाकृ त सग�का वण�न २५- एक ही परमा�माके ���वध �प, ��ाजीक� आयु आ�दका मान तथा सृ��का सं���त वण�न २६- �जाक� सृ��, �नवास-�थान जी�वकाके उपाय और वणा��म-धम�के पालनका माहा��य २७- �वाय�भुव मनुक� वंश-पर�परा तथा अल�मी-पु� �ःसहके �थान आ�दका वण�न २८- �ःसहक� स�तान��ारा होनेवाले �व�न और उनक� शा��तके उपाय २९- द� �जाप�तक� संत�त तथा �वाय�भुव सग�का वण�न ३०- ज�बू��प और उसके पव�त�का वण�न ३१- �ीग�ाजीक� उ�प��, �क�पु�ष आ�द वष�क� �वशेषता तथा भारतवष�के �वभाग, नद�, पव�त और जनपद�का वण�न ३२- भारतवष�म� भगवान् कू म�क� ��थ�तका वण�न ३३- भ�ा� आ�द वष�का सं���त वण�न ३४- �वरो�चष् तथा �वारो�चष मनुके ज�म एवं च�र�का वण�न ३५- प��नी �व�ाके अधीन रहनेवाली आठ �न�धय�का वण�न ३६- राजा उ�मका च�र� तथा औ�म म�व�तरका वण�न ३७- तामस मनुक� उ�प�� तथा म�व�तरका वण�न ३८- रैवत मनुक� उ�प�� और उनके म�व�तरका वण�न ३९- चा�ुष मनुक� उ�प�� और उनके म�व�तरका वण�न ४०- वैव�वत म�व�तरक� कथा तथा साव�ण�क म�व�तरका सं���त प�रचय ४१- मेधा ऋ�षका राजा सुरथ और समा�धको भगवतीक� म�हमा बताते �ए मधु- कै टभ-वधका �स� सुनाना ४२- देवता�के तेजसे देवीका �ा�भा�व और म�हषासुरक� सेनाका वध ४३- सेनाप�तय�स�हत म�हषासुरका वध ४४- इ��ा�द देवता��ारा देवीक� �तु�त ४५- देवता��ारा देवीक� �तु�त, च�ड-मु�डके मुखसे अ��बकाके �पक� �शंसा सुनकर शु�भका उनके पास �त भेजना और �तका �नराश लौटना ४६- धू�लोचन-वध ४७- च�ड और मु�डका वध ४८- र�बीज-वध ४९- �नशु�भ-वध ५०- शु�भ-वध ५१- देवता��ारा देवीक� �तु�त तथा देवी�ारा देवता�को वरदान ५२- देवी-च�र��के पाठका माहा��य ५३- सुरथ और वै�यको देवीका वरदान ५४- नव�से लेकर तेरहव� म�व�तरतकका सं���त वण�न ५५- रौ�य मनुक� उ�प��-कथा ५६- भौ�य म�व�तरक� कथा तथा चौदह म�व�तर�के �वणका फल ५७- सूय�का त�व, वेद�का �ाक�, ��ाजी�ारा सूय�देवक� �तु�त और सृ��-रचनाका आर�भ ५८- अ�द�तके गभ�से भगवान् सूय�का अवतार ५९- सूय�क� म�हमाके �स�म� राजा रा�यवध�नक� कथा ६०- �द�पु� नाभागका च�र� ६१- व�स�ीके �ारा कु जृ�भका वध तथा उसका मुदावतीके साथ �ववाह ६२- राजा ख�न�क� कथा ६३- �ुप, �व�व�श, खनीने�, कर�धम, अवी��त तथा म��के च�र� ६४- राजा न�र�य�त और दमका च�र� ६५- �ीमाक� �डेयपुराणका उपसंहार और माहा��य �च�-सूची इकरंगे (लाइन) �म १- जै�म�न-माक� �डेय-संवाद २- �वा�साका वपु नामक अ�सराको शाप देना ३- अजु�नके बाणसे ता��क� मृ�यु और उसके चार अ�ड�पर घंटा टूटकर �गरना ४- शमीकक� आ�ासे मु�नकु मार�का ता��के चार� ब�च�को आ�मपर ले जाना ५- मह�ष� सुकृ षका अपने चार पु��को प���पधारी इ��क� तृ��तके �लये शरीर अप�ण करनेका आदेश देना ६- इ��का �कट होकर मह�ष�को वरदान देना ७- �ोणपु� धम�प��य��ारा जै�म�नको उपदेश ८- होमकु �डसे वृ�ासुरक� उ�प�� ९- राजा ह�र���पर �व�ा�म�का कोप १०- राज-पाट छोड़कर ��ी-पु�स�हत नगरसे बाहर जाते �ए ह�र���से �व�ा�म�का य�के �लये द��णा माँगना ११- राजाको जाते देख पुरवा�सय�का �वलाप १२- राजाके ��त मु�नक� कठोरता १३- �च��तत �ए राजाको रानी शै�ाका आ�ासन १४- राजा और रानीक� मू�छा� १५- राजा ह�र���का अपनी रानीको एक �ा�णके हाथ बेचना १६- �ा�णका �नद�यतापूव�क रानीको ले जाना और रोते �ए बालक रो�हता�का अपनी माताके व�� पकड़कर ख�चना १७- प�नी और पु�को जाते देख राजा ह�र���का �वलाप १८- चा�डाल और ह�र���क� बातचीत १९- �व�ा�म�का ह�र���को चा�डालके हाथ बेचना २०- �मशान-भू�मम� ह�र���क� उ���नता २१- मरे �ए पु�को छातीसे लगाकर ह�र���का मू��छ�त होना और शै�ाका �वलाप करना २२- देवता�स�हत इ��का अमृतक� वषा� करके रो�हता�को जी�वत करना २३- राजा ह�र���क� �ाथ�नापर सम�त पुरवा�सय�को �वग�म� ले जानेके �लये इ��के आदेशसे �वग�य �वमान�का भू�मपर आना २४- �पताका अपने पु� सुम�तको ��चय�पूव�क वेदा�ययनक� आ�ा देना २५- रौरव नरकक� दा�ण यातना २६- महारौरवका भयङ्कर ��य २७- तम नामक नरकम� पा�पय�क� �द�शा २८- �नकृ �तन नरकक� भीषण यातना २९- अ��त� नरकम� �ा�त होनेवाली पीड़ाका रोमा�चकारी ��य ३०- अ�सप�वनम� पा�पय�क� ��सह य��णा ३१- त�तकु �भ नरकम� जीव�क� यातना ३२- लोहेक� च�चवाले प��य�का नरकम� पड़े �ए पापी जीव�को नोचना ३३- जनकका नरक-दश�न और यम�तसे उनक� बातचीत ३४- परायी ��ी और पराये धनपर ��� डालनेवाले पा�पय�क� नरक-य��णा ३५- माता-�पता और ग�ु जन�के अपमानका भयानक द�ड ३६- जलते लोह-खंभम� बँधे �ए पा�पय�क� दा�ण यातना ३७- पीठ पीछे बुराई करनेवाल�क� भयानक नरक य��णा ३८- त�तकु �भ नरक-यातनाका एक और ��य ३९- पापीको वानरयो�नक� �ा��त ४०- पर��ीगा�मय�को �भ�-�भ� पापयो�नय�क� �ा��त ४१- �व�भ� पाप�के कारण म�खी, �ब�ली और चूहेक� यो�नम� जीवका �वेश ४२- बैलको ब�धया करनेवाले पापीको �ा�त होनेवाली �भ�-�भ� यो�नयाँ ४३- राजा जनकको जाते देख नारक� जीव�का हाहाकार ४४- नारक� जीव�को सुख प�ँचानेके �लये राजा जनकका नरकहीम� रहनेका �न�य ४५- धम�राज और इ��का राजा जनकको �वग�म� ले जानेके �लये आ�ह ४६- भगवान् �व�णुका राजा जनकको अपने धामम� ले जाना ४७- शूलीपर चढ़े �ए मा�ड� मु�नका प�त�ता �ा�णीके प�तको शाप देना ४८- अनसूयाका अपने सती�वके �भावसे �ा�णीके मरे �ए प�तको नवजीवन-दान देना ४९- देवता�का ल�मीस�हत भगवान् द�ा�ेयजीको �णाम करना ५०- द�ा�ेयजीका देवता�को रा�स�के वधक� आ�ा देना ५१- कात�वीय� अजु�नका द�ा�ेयजीक� सेवाम� उप��थत होना ५२- कात�वीय� अजु�नका रा�या�भषेक