‘रामायण’ भारतीय वाड्मय का श्रेष्ठ एवं अद्भुत ग्रंथ है। यह भारतीय जन-मानस में गहराई से रच-बस गया है। इसकी लोकप्रियता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि दुनिया की अधिकतर भाषाओं में इसका अनुवाद हो चुका है। लगभग सभी भारतीय भाषाओं में रामायण रची गई हैं या रामायण से संबद्ध ग्रंथ लिखे गए हैं।रामायण का कर्तव्यनिष्ठा पर विशेष जोर और आग्रह है। प्रत्येक मनुष्य—चाहे वह स्त्री है या पुरुष अथवा बाल; वह नौकर है या मालिक अथवा शासक है या सेवक—इतना ही नहीं, माता-पिता, पुत्र, भाई, सखा और शत्रु—रामायण में सबके कर्तव्यों का आदर्श उपस्थित किया गया है। जीवन में क्या-क्या करना चाहिए या क्या करणीय है—यह रामायण बतलाती है।
प्रस्तुत पुस्तक में रामकथा मर्मज्ञ दाजी पणशीकर ने रामायण के ऐसे 51 प्रसंगों की व्याख्या की है, जो बहु प्रेरक एवं मार्गदर्शन करने वाले हैं। भगवत्-प्रेमी ही नहीं, सभी खास और आम के लिए एक पठनीय पुस्तक।