ebook img

इस्लामी जिहाद बलपुर्वक धर्मान्तरण, साम्राज्यवाद और दासप्रथा की विरासत | Islamic Jihad (Hindi) PDF

440 Pages·2011·2.764 MB·Hindi
Save to my drive
Quick download
Download
Most books are stored in the elastic cloud where traffic is expensive. For this reason, we have a limit on daily download.

Preview इस्लामी जिहाद बलपुर्वक धर्मान्तरण, साम्राज्यवाद और दासप्रथा की विरासत | Islamic Jihad (Hindi)

इस्लामी जिहाद बलपूर्वक धमाांतरण, साम्राज्यर्ाद और दासप्रथा की वर्रासत एम.ए. खान Felibri.com इस्लामी जिहाद: बलपूर्वक धमातां रण, साम्राज्यर्ाद और दासप्रथा की वर्रासत कॉपीराइट एम.ए. खान सर्ावजधकार सुरजित। लखे क की अनुमवत के वबना इस प्रकाशन का कोई भी भाग न तो पुनरुत्पावदत वकया िा सकता है, न ही वकसी उपायोिन प्रणाली म ेंसंग्रहीत वकया िा सकता है तथा न ही इलेक्ट्रॉवनक, यांविक, फोटोकॉपी, अंकन अथर्ा अन्य वकसी प्रकार से वकसी भी रूप अथर्ा वकसी भी साधन से प्रसारण वकया िा सकता है। अंतरताना (इंटरनेट) की गवतशील प्रकृवत के कारण, इस पुस्तक म ेंवदया गया कोई भी र्ेब एडरेस अथर्ा जलंक पररर्वतवत, नष्ट अथर्ा अमान्य वदख सकता है। यू.एस.ए. में एफएलआईबीआरआई डॉट कॉम द्वारा प्रकाजशत 1 इस्लामी जिहाद: बलपूर्वक धमातां रण, साम्राज्यर्ाद और दासप्रथा की वर्रासत कुरआन के गुण-दोष आधाररत सक्ष्मू अन्वषेण के आधार पर लखे क ने अत्यंत गहनता स ेदशावया है वक इस्लाम अपने जिहाद अथर्ा पवर्ि िंग के जसद्ांत म ेंस्पष्ट रूप स ेबलपूर्वक धम वपररर्तवन कराने, अ-मस्लुस्लमो ं(गैर मसुलमानो)ं को गलु ाम (दास) बनाने तथा पूरे वर्श्व में साम्राज्यर्ादी इस्लामी शासन स्थावपत करने का आह्वान करता है। इसके बाद रसूल की सुन्नतो ंर् मलू आत्मर्ृत्ो ंके गहन अध्ययन के आधार पर लखे क उिागर करत ेहैं वक वकस प्रकार रसूल मुहम्मद द्वारा इस्लामी अल्लाह के शाश्वत संबंध र्ाले इन आदेशो ंको पूणतवः लाग ूवकया गया हैः रसूल महुम्मद बलपूर्वक धमातांरण, दासप्रथा िसैी कुप्रथा को चलाने में संलग्न रहा और अरब में प्रथम साम्राज्यर्ादी इस्लामी राज्य की स्थापना की। सस्पु ष्ट ऐवतहाजसक अजभलखे ो ंर् साक्ष्ो ंके माध्यम स ेइस पुस्तक में आग े बताया गया है वक वकस प्रकार आि तक के इवतहास में मुसलमानो ंने संसार के वर्जभन्न भागो ंम ेंइस्लामी जिहाद के इन प्रवतमान प्रवतदशों (मॉडल) का वर्स्तार वकया। यह लखे क भवर्ष्यर्ाणी कर रहा है वक आने र्ाले दशको ंम ेंइस्लामी जिहाद और तीव्र होगा तथा मानर् िावत, वर्शेषकर कावफरो ंर् पजिमी िगत पर इसका गंभीर पररणाम होगा। मैं मानता हं वक यह पुस्तक उभर रही उन चुनौवतयो ंकी व्यापक समझ प्रदान करेगा, िो चरमपंजथयो ंद्वारा उत्पन्न की गयी हैं और जिनका सामना मुस्लस्लम र् अ-मुस्लस्लम (गैर- मुसलमान) िगत दोनो ंकर रहे हैं। -इब्न र्राक, पुस्तक ’मैं मुसलमान क्ो ं नही ंहं’ (व्हाई आई एम नॉट ए मुस्लस्लम) के लखे क यह पुस्तक अवत महत्वपूणव है और सबको अर्श्य पढ़नी चावहए। सरुुजचपूणव ढंग स ेजलखी गयी यह पुस्तक जिहाद की वहसंक साम्राज्यर्ादी प्रकृवत पर प्रकाश डालती है। जिहाद इस्लाम का र्ह प्रमुख जसद्ांत है, जिसका अनुपालन र् लक्ष्प्रावि अ-मुस्लस्लमो ं (गैर-मसुलमानो)ं के साथ ही मसुलमानो ंके भी मानर्ाजधकारो ंका हनन करके ही की िा सकती है, यह पुस्तक इस्लाम पर जलखी गयी सर्ोत्म पुस्तको ंमें से एक है। -नोनी दरर्ेश, पुस्तक ’अब र्े मुझ े कावफर कहते हैं’ (नाऊ दे कॉल मी इजिडल) के लखे क मैंने यह पुस्तक पढ़ी और इसे सम्मोवहत करन ेर्ाला पाया। ‘‘इस्लामी जिहाद’’ एक व्यापक संदभ वहै, जिसम ेंऐवतहाजसक पररप्रेक्ष् र् र्तवमान समय म ेंइस्लाम र् उसके रसलू के वर्षय म ेंअनेक वर्स्ततृ तथ्य समावहत हैं। िो जिहाद र् आतंक के पीछे के उत्प्ररेक बल को समझना चाहत ेहैं, उन सबको यह पुस्तक अर्श्य पढ़नी चावहए। -सामी अल रबा, पुस्तक ’’ढंका-जछपा अत्याचार’’ (र्ेल्ड एटरोजसटीि) के लखे क मैं ‘इस्लामी जिहाद’ नामक इस पस्तु क को उत्कृष्ट कृवत कहंगा और यह भी कहंगा वक यह पुस्तक मानर्ता के प्रवत बड़ा योगदान है। िब मनैंे यह पुस्तक पढ़ना प्रारंभ वकया, तो मानो ंसम्मोवहत हो गया और इस ेअतं तक पढ़े वबना छोड़ नही ंसका। मैं इस े इस्लाम के वर्रुद् एक शविशाली अस्त्र कहंगा। -शम्सुज्जोहा मनीक, इस्लाम के वर्द्वान र् लखे क 2 इस्लामी जिहाद: बलपूर्वक धमातां रण, साम्राज्यर्ाद और दासप्रथा की वर्रासत ‘‘इस्लामी जिहाद’’ का पररमाण अवत वर्शाल र् गहरा है और इसका आयाम बड़ा है। अजधकांश ऐवतहाजसक सामवग्रयां व्यापक रूप से जछपायी गयी हैं। इन जछपायी गयी ऐवतहाजसक साम्रवगयो ंको सामने लाने की आर्श्यकता है। इस्लामी जिहाद न ेदासप्रथा फैलान े में बड़ी भवूमका वनभायी है। यह पस्तु क मानर्ता के जलय ेर्रदान है। -वबल र्ानवर, इस्लाम के वर्द्वान र् लेखक, रािनीवतक इस्लाम अध्ययन केंद्र के वनदेशक ‘‘इस्लामी जिहाद’’ नामक यह पस्तु क इतने अदभतु ढंग से लेखबद् की गयी है वक इस्लाम को उिागर करन ेकी सटीकता के कारण इसकी आलोचना की संभार्ना नगण्य हो गयी है। अतः इस पुस्तक को माि पाठन-मनोरंिन के जलय ेअपने हाथ में न लें, अवपत ु इस्लाम का र्तवमान समझने एर्ं इसके भवर्ष्य का अनमुान लगान ेहेतु इस्लाम के अतीत की र्ास्तवर्क प्रकृवत पर स्वयं को जशजित करने के जलये इस ेगहरायी र् गंभीरता से पढ़ें। -स्लैंट राइट ब्लाग इस पुस्तक न ेअपन ेआरंभ से ही मुझे इसम ेंडुबो वदया। मैंन ेभारत में इस्लाम पर अध्यायो ंको समझा...। इस्लाम के इवतहास और ऐवतहाजसक दृवष्ट से इसके अनुयावययो ंको लेकर तकव के सभी पिो ंको ध्यान में रखते हुए समग्रता र् औजचत्यपूणव ढंग से वर्मश व वकया गया है। यह पुस्तक सबको अर्श्य पढ़नी चावहए। संसार में आि िो हो रहा है, उसको देखते हुए यह पुस्तक और भी महत्वपूणव हो िाती है। -गॉडेस 101 (in amzon.co.uk) इस पुस्तक म ेंिब आप पराजित और दास बनाये गय ेलोगो ंकी ददुवशा र् नरसंहार के वर्षय म ेंपढ़ रहे होगं,े तो संभर् है वक अत्यंत व्यजथत हो िाएं। इस पुस्तक में बहुत से तथ्य वदये गये हैं। जिहावदयो ंकी मानजसकता और अल्लाह के नाम पर लड़ी गयी रिरंजित िंगो ंको गहनता से समझन ेके जलये पाठको ंको इन तथ्यो ंपर गहरायी से जचतंन करना चावहए। श्रीमान खान न ेसोचन ेको बाध्य करने र्ाली एक ऐसी पुस्तक जलखी है, िो अत्यंत वर्स्ततृ है और गंभीर पादवटप्पजणयो,ं संदभग्रवंथो ंर् सूजचयो ंद्वारा प्रवतपुष्ट की गयी है। यह ऐसी पुस्तक है, जिस ेप्रत्यके उस व्यवि को संदभव के रूप म ेंरखना चावहए, जिसकी इस्लामी जिहाद के खूनी इवतहास और इससे उपिे सभी पररणामो ंको समझने में रुजच है। -स्टीर्न बी. जसम्पसन, लखे क खान की यह कृवत सोने की खान से वनकली हुई मूल्यर्ान धात ुहै। खान की इस पुस्तक से आपको न केर्ल इस्लामा्ी इवतहास का जसद्हस्त ज्ञान वमलगेा, अवपतु इस्लामी धमवशास्त्र के वर्षय में भी ज्ञानर्द्वन होगा। इस कारण स ेयह पुस्तक उन लोगो ंके जलये खतरा है, िो जिहाद की र्ास्तवर्कता को जछपाकर हमारी आंखो ंपर पट्टी बांध देते हैं। खान का उद्देश्य ही आंख खोलना है। र्ो इस कायव में अत्यंत सफल हुए हैं... खान मुहम्मद के िीर्न को इस्लामी जसद्ातं र् इवतहास के सूक्ष्म-अन्वषेी रूप म ेंउिागर करत ेहैं और यह काम उन्ोनंे अद्भतु र् उत्कृष्ट ढंग से वकया है। मैं नही ंबोलंूगा वक आप यह पुस्तक पढ़ें या नही।ं यह पुस्तक पवढ़ए और स्वयं िावनए। -सी.सी. च्रप्पा (ऑन अमेिन डॉट कॉम) 3 इस्लामी जिहाद: बलपूर्वक धमातां रण, साम्राज्यर्ाद और दासप्रथा की वर्रासत यह पुस्तक ‘‘इस्लामी जिहाद’’ अनुसंधानपरक र् वर्द्वतापूण वढंग स ेजलखी गयी है। अपनी शलै ी, सस्पु ष्ट अंतदृवष्ट, वर्श्लेषण की गहराई और इस तथ्य म ेंइसकी श्रष्ठेता है वक यह कुरआन सवहत इस्लाम के ही स्रोतो ंसे वनकाल ेगय ेतथ्यो ंके आधार पर जलखी गयी है। यह पुस्तक इस्लाम की जशिाओ ंएर्ं जिहाद की इसकी स्वीकृवत के गहन परीिण र् सुदृढ़ तकों को भी प्रस्ततु करती है। यह जिहाद की र्ास्तवर्कता को उिागर करती ही है, साथ ही जिहाद नामक बुराई के आग ेआत्मसमपवण करके जिम्मी (ज धम्मी) बन िान े की भयार्हता पर भी प्रकाश डालती है। -मुवमन साजलह, इस्लाम के वर्द्वान र् लखे क ‘‘यह पुस्तक ‘‘इस्लामी जिहादः बलपूर्वक धमव पररर्तनव, साम्राज्यर्ाद र् दासप्रथा की वर्रासत’’ मानर् िावत को एम.ए. खान का उपहार है। यह पुस्तक हम सबको अवनर्ाय वरूप स ेपढ़नी चावहए, क्ोवंक यह इस्लाम की र्ास्तवर्क प्रकृवत का जचिण करती है और अ-मसुलमानो ं(गैर-मसुलमानो)ं की सुरिा र् उनके िीर्न पर इस्लाम के गंभीर खतरे स ेअर्गत कराती है। मैं ऐसा बहुमूल्य उपहार प्रदान करन ेके जलये इसके लखे क को धन्यर्ाद ज्ञावपत करता हं।’’ -मोहम्मद अशगर, पुस्तक मुहम्मद र् उसकी कुरआन (मुहम्मद एंड वहि कुरआन) के लखे क यह पुस्तक ‘‘इस्लामी जिहाद’’ अत्यंत वर्द्वतापणू व, प्रेरणादायी र् अकाट्य तथ्यो ंस ेयुि है। इसकी भाषा सामान्य, समझन ेम ेंसरल और रुजच उत्पन्न करने र्ाली है। एक बार पाठक पढ़ना प्रारंभ करेगा, तो समाि वकय ेवबना उठने की इच्छा नही ंहोगी। इस्लाम के वकसी भी गंभीर पाठक को इस पुस्तक की उपेिा नही ंकरनी चावहए। इस पुस्तक को पवढ़ए, तो आप समझ पाएंगे वक इस्लामी जिहादी िो कर रहे हैं, क्ो ंकर रहे हैं। उपमहाद्वीप (भारत, पावकस्तान, बांग्लादेश) के पाठक और वर्शेष रूप से मुसलमान पाठक िब मध्यपूर्व र् मध्यएजशया स ेआये मस्लुस्लम आक्ांताओ ंद्वारा उनके पूर्विो ंपर वकय ेगये अत्याचार को िानेंगे, तो वहल िाएंगे। अनेक आक्मणो ंर् अनर्रत ा्हमलो ंका यह झंकझोर देने र्ाला वर्र्रण उत्सुकतापूर्वक अपनी िड़ो ंको ढूंढ़ने पर बाध्य कर देगा। मुस्लस्लम दवुनया के वकसी कोने के पाठक और यहा ंतक वक यूरोप और अमरीका के पाठक भी यह समझ पाने योग्य होगं ेवक वकस प्रकार उनके पूर्विो ंपर इस्लाम का भयानक दष्प्रु भार् पड़ा। यह पुस्तक आि के रािनीवतज्ञो ंको अर्श्य ही पढ़ना चावहए, चाहे र्ह नेता मुसलमान हो अथर्ा गरै-मसुलमान, जिससे वक वनरंतर बढ़ रहे इस्लामी चरमपंथ के खतरे की ओर स ेउनकी उदासीनता दरू हो सके। -अबुल कासेम, इस्लाम के वर्द्वान र् लखे क ‘‘एम.ए. खान की यह पुस्तक ‘‘इस्लामी जिहादः बलपूर्कव धमव पररर्तवन, साम्राज्यर्ाद र् दासप्रथा की वर्रासत’’ जिहाद के इवतहास वर्षय पर गुण-दोष आधाररत अनसुंधान पर तैयार की गयी अनुपम कृवत है और िो भी इस वर्षय में रुजच रखत ेहैं, उन्ें यह पुस्तक अर्श्य पढ़नी चावहए।’’ -िेफरी वकंग, (शीघ्र ही आने र्ाली) पुस्तक फ्री स्पीच के लेखक 4 इस्लामी जिहाद: बलपूर्वक धमातां रण, साम्राज्यर्ाद और दासप्रथा की वर्रासत प्राक्कथन मेरा िन्म र् लालन-पालन एक रुवढ़र्ादी मस्लुस्लम समाि म ें हुआ। भारत में स्नातक उपाजध लेन े के पिात म ैं आग े की जशिा के जलये पजिम की ओर चला गया। रुवढ़र्ादी मुस्लस्लम पष्ठृ भूवम के बाद भी मैं उदारर्ादी सोच के साथ बड़ा हुआ। मेरे वर्द्यालयी र् वर्श्वद्यालयी वदनो ं में मेरे वनकट वमि वहंद ू र् जसख रहे। मैं उनके साथ अजधक सहि अनुभर् करता था, क्ोवंक र्े न के बराबर धावमवक जझझक रखन े र्ाल े एर्ं अजधक उदार, सरल स्वभार् र् वर्नम्र थ।े वर्श्ववर्द्यालयी जशिा पूरी करने तक म ैं मिहबी रीवतयो ं र् कमवकांडो ं को पूणतव ः छोड़ चुका थाः य े मिहबी रीवतयो ं मझु े अपनी नही ं ओर नही ंखीचं पाती थी।ं िब अमरीका में 9/11 का हमला (आक्मण) हुआ, तो उदार समाि में रहत े हुए मैं एक दशक स े अजधक समय व्यतीत कर चुका था। मुझ े सचते न रूप स े यह वर्श्वास हो गया था वक मिहबी रीवतयां यथाः नमाि, रोिा र् हि आवद सब अथवहीन हैं। मुझे लगता था वक जिन व्यथव की मिहबी रीवतयो ं से वकसी का भी भला नही ंहोता है, मैंने उनका अधं ानुकरण नही ंवकया। उसकी अपिे ा मैंन े पररश्रम र् बुवद्मत्ा पणू व ढंग स े काय व वकया है, इसजलये मुझे पुरस्कृत वकया िाना चावहए। मेरे परमा् वमि गैर-मुसलमान थे, अपने मुसलमान साजथयो ं को िुब्ध करते हुए मैं हराम (र्जितव ) भोिन करता था, (आधुवनकता म)ें मवदरा पान करता था। : यवद सच कहं, तो इस प्रकार का उदार व्यवि बन िाने के बाद भी मैं उन मसु लमानो ं स े जभन्न नही ंथा, जिन्ें लगता था वक 9/11 का हमला उजचत था। यद्यवप मुझ े लगता था वक इस हमले का जशकार बने िो लोग मारे गये हैं, र्ो अकारण ही मरे। पूरे वर्श्व में मुस्लस्लम समाि अमरीका को इस्लाम के घोर शिु के रूप में प्रस्तुत करता है, वर्शषे रूप से इिराइल-वफजलस्तीन संघष व म ें अमरीका के पि को लेकर। उस समय मैं भी यही सोचता वक अमरीका का अंधा समथवन पाकर इिराइल को वफजलस्तीन के मुसलमानो ं पर भयानक अत्याचार कर रहा है, उनके जलय े घोर कष्ट उत्पन्न कर रहा है। वनस्संदेह मुसलमानो ं में 9/11 के हमलो ं को उजचत ठहराने का गहरा भार् था। मसु लमानो ं के इस भार् स े सुपरपॉर्र अमरीका को रिपात करने का एक और बहाना वमल गया। मैं भी भल े ही तवनक ही मसु लमान था, वकंत ु म ैं भी उन्ी ंमसु लमानो ं के िसै े सोचता था। यह वर्जचि प्रतीत हो सकता है वक मैं अब भी इस्लाम में वर्श्वास करता था। मैं सोचता था वक आतंकर्ादी, िो इस्लाम के नाम पर सब कर रहे हैं, वदग्भ्रवमत हैं। 9/11 के बाद मैंन े धीरे-धीरे इस्लाम के बारे म ें पढ़ना प्रारंभ वकया: कुरआन, सुन्नत और रसूल मुहम्मद के आत्मर्ृत्ो ं को पढ़ा। मनैं े अपने िीर्न के 35 र्षों में ये सब नही ंपढ़ा था। म ैं घोर आियव में पड़ गया। िीर्नभर मुझे बताया गया वक रसूल मुहम्मद का िीर्न आदशव थाः उसका िीर्न अत्यंत करुणामयी र् न्यायवप्रयता का था, यह भी बताया गया था वक इस्लाम सबसे शावंतपणू व धमव है और मैं इन सब बातो ं पर वर्श्वास भी करता था। वकंतु कुरआन पढ़ा, तो ऐसा लगा वक यह तो अ-मस्लुस्लमो ं (गैर-मुसलमानो)ं का धम व पररर्तवन कराने अथर्ा उन्ें अपन े अधीन भयानक अपमानिनक स्लस्थवत में जिम्मी बनाकर रखने के जलय े उनके वर्रुद् खलु ी िंग का घोषणापि है। अपने पगै म्बरी के व्यर्साय और वर्शेषकर अपन े अंवतम दस र्षों की अर्जध में रसलू मुहम्मद भल े ही कुछ भी रहा हो, वकंत ु र्ह शांवतवप्रय, दयार्ाना् एर्ं न्याय के साथ खड़ा रहन े र्ाला व्यवि तो नही ंही था। मेरी जिज्ञासा बढ़ने लगी। मैंन े इस्लामी धमवशास्त्र और रसूल महु म्मद से लेकर आधुवनक समय तक के इस्लामी इवतहास पर र्षों तक गहन अनसु ंधान वकया, तो इसम ें बलपूर्वक धमातां रण, बबवर साम्राज्यर्ाद एर्ं भयभीत कर देन े र्ाली दासप्रथा की 5 इस्लामी जिहाद: बलपूर्वक धमातां रण, साम्राज्यर्ाद और दासप्रथा की वर्रासत स्तब्धकारी घटनाएं वनकलकर सामने आयी।ं यह बहुत बड़ी मानर् िासदी की दखु द गाथा है। ऐसी िासदी, िो इस्लाम के मलू भूत तत्व इस्लामी पवर्ि िंग अथावत जिहाद के नाम पर लायी गई। िासदी की यही गाथा इस पुस्तक का वर्षय है। एम.ए. खान 6 इस्लामी जिहाद: बलपूर्वक धमातां रण, साम्राज्यर्ाद और दासप्रथा की वर्रासत आभार ज्ञापन प्रथमतः मुझे इस कायव को करन े में अपनी पत्नी के प्रोत्साहन एर्ं धीरि भरे त्याग के जलये आभार प्रकट करना चावहए, उनके सहयोग के अभार् म ें यह पस्तु क साकार रूप नही ंल े पाती। यह कायव मनुष्यो ं एर्ं अलौवकक वर्द्वानो ं र् लखे को ं के कायों के आधार पर सम्पन्न वकया गया है और इस पुस्तक का अजधकांश श्रेय उन्ी ंको िाना चावहए। कुरआन के लखे क अल्लाह, अल-बुखारी, अबू मस्लुस्लम एर्ं अब ू दाऊद, रसलू की सुन्नत के संकलनकतावओ,ं इब्न इस्हाक र् अल-तबरी, रसलू का आत्मर्ृत् जलखने र्ाल े लखे को,ं महु म्मद फररश्ता, इब्न बततू ा, एचएम इजलयट र् िे. डाऊसन, िर्ाहरलाल नेहरू, केएस लाल, वगल्स वमल्टन, बनाडव व लेवर्स, र्ीएस नायपाल, िीडी खोसला, पीके वहत्ी, एम. उमरुद्दीन, एंडरय ू बॉस्टम, आरएम ऐटन, बहाररस्तान-ए-शाही र् अलबरूनी जलजखत भारत आवद पुस्तको ं का नामोल्लखे समीचीन होगा। मैं अपने उन वमिो ं अबुल काजसम, मोहम्मद अशगर, सईद कामरान वमिाव, शेर खान, मवुमन साजलह, सी. ली, र्ानवर मैंकेंिी र् बहुत से अन्य वमिो ं का भी कम ऋृणी नही ंहं, जिन्ोनं े इस काम को करन े म ें मुझ े अपार प्रोत्साहन वदया। इनम ें स े बहुतो ं ने मुझ े मूल्यर्ान सूचना र् सुझार् वदये हैं। सी. ली ने अपने पुस्तको ं के वर्शाल संग्रह को मुझसे साझा वकया, जिससे मुझे अनसु ंधान में बड़ी सहायता वमली। इसके जलये ली के प्रवत वर्शेष रूप स े धन्यर्ाद ज्ञावपत करता हं। इस पुस्तक म ें वदये गय े वर्षय र्जैश्वक रुजच के हैं, परंत ु इसम ें प्रस्तुत ऐवतहाजसक आंकड़े अजधकांशतः भारत से जलये गय े हैं और इसके पीछे मुख्यतः दो कारण हैंः पहला यह वक समकालीन वर्द्वानो ं द्वारा वकये गये कायों के रूप में भारत पर ऐवतहाजसक सूचनाओ ं का बड़ा भाग उपलब्ध है, दसू रा कारण यह है वक पुस्तक का आयतन बहुत अजधक न हो। हो सकता है वक इस पुस्तक में कुछ भाषाई िुवटया ं रह गयी हो,ं पर मैं आशा करता हं वक पाठको ं को इससे यथान्यून असवुर्धा होगी। एम.ए. खान 15 अक्ट्ूबर 2008 7 इस्लामी जिहाद: बलपूर्वक धमातां रण, साम्राज्यर्ाद और दासप्रथा की वर्रासत अनुक्माजणका अध्याय एक 1 जिहादः वर्र्ाद 1 अध्याय दो 5 इस्लाम की आधारभूत मान्यताएं अध्याय तीन 9 रसूल मुहम्मद का िीर्न और जिहाद की उत्पवत् 9 िन्म एर्ं आरंजभक िीर्न (570-610 ईसर्ी) 10 क्ा मुहम्मद मक्का से भगाया गया था? 12 क्ा मक्का के लोग क्ूर थे? 15 मक्कार्ाजसयो ंकी आदशव सवहष्णुता 18 मुहम्मद का मक्कार्ाजसयो ंके वर्रुद् आतंक का अजभयान (623-623 ईसर्ी) 19 जिहाद का बीिारोपण 19 नखला का हमला 21 बद्र की िंग 22 उहुद की वर्नाशकारी िंग 23 खंदक की िंग 24 मक्का की वर्िय और काबा पर बलपूर्वक अजधकार 25 मुहम्मद का मक्कार्ाजसयो ंको िमादान 28 मुहम्मद का यहवदयो ं के साथ व्यर्हार 30 मुहम्मद के अजभयान पर यहदी प्रभार् 30 यहवदयो ंको इस्लाम की ओर खीचंने के जलये मुहम्मद का प्रयास 31 8 इस्लामी जिहाद: बलपूर्वक धमातां रण, साम्राज्यर्ाद और दासप्रथा की वर्रासत इस्लाम में यहदी जसद्ांत का बोध 31 मुहम्मद की यहवदयो ंसे कटुता 32 मुहम्मद द्वारा यहवदयो ंपर वहंसा 33 मुहम्मद का ईसाइयो ं के साथ व्यर्हार 37 मुहम्मद के अजभयान र् पंथ पर ईसाइयत का प्रभार् 38 मुहम्मद के पंथ पर अन्य मान्यताओ ंर् आख्यानो ंका प्रभार् 41 इस्लाम में ईसाई धमव के वर्चार 43 कुरआन में ईसाई धमव की वनंदा 44 मुहम्मद की ईसाइयो ंके प्रवत शिुता 45 मृत्युशैया पर मुहम्मद का ईसाई-वर्रोधी शिुता का भार् 46 मुहम्मद का ईसाई शासको ंको धमकी भरा संदेश 47 मुहम्मद का ईसाइयो ंके वर्रुद् अजभयान 47 मुहम्मद का ईसाई प्रवतवनजधमंडल के साथ व्यर्हार 48 मुहम्मद के बताये अनसु ार इस्लाम में अ-मुस्लस्लम की स्लस्थवत 49 इस्लाम में मूवतवपूिक 49 इस्लाम में यहदी 50 इस्लाम में ईसाई 50 अध्याय चार 53 इस्लाम का प्रसारः बलपूर्वक अथर्ा शांवतपूणव ढंग से? 53 इस्लाम के प्रसार के जलय े आरंजभक िंग 53 इस्लाम के प्रसार के जलय े िंगो ं पर मसु लमान वर्द्वान 59 इस्लामी राज्य के प्रभुत्व की रिा 60 वर्देशी शासको ंके अत्याचार पर वनयंिण 61 9

See more

The list of books you might like

Most books are stored in the elastic cloud where traffic is expensive. For this reason, we have a limit on daily download.