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Dosti Allah Ke Liye Dushmani Allah Ke Liye PDF

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1 م ِْی حِرَّلا نِحْْٰرَّلا ِالل مِسِْب ِللّٰا لَوْسُرَ يََ كْیَلَع ُملاسَّلاوَ ُةلاصَّ لا ُّلِلّ ّٰ ُُّّب حُ لَْا ُّلِلّ ّٰ ُّضُ ُّغْ ُبلَْا अल मअरूफ़ दोस्ती अल्लाह के लिये दुश्मनी अल्लाह के लिये --- तस्नीफ ए लतीफ --- हुज़ूर फ़ैज ए ममल्लत मुफ़स्सिर ए आज़म पामिस्तान हज़रत अल्लामा अल हामफ़ज़ अबू सािेह मुफ़्ती मुहम्मद फ़ैज़ अहमद ओवैसी रज़वी (هدقرم الل رون) --- महिंदी अनुवाद --- फ़क़ीर-ए-हशमती मुहम्मद शाहरुख रज़ा हशमती क़ादरी (+917693044656) --- प्रूफ़ रीम़िगिं --- मुहम्मद तय्यब क़ादरी 2 م ِيمحِرَّلا نِحٰۡم رَّلا اللهِ مِسم ِب نَمِ سَ یَۡل َف كَ ِلذٰ لۡ عَفَّۡ ي نۡمَوَ ۚ يَِۡنمِؤۡمُلۡا نِوُۡد نۡمِ َءٓاَیِلوَۡا نَيۡرِفِكٰلۡا نَوۡ ُنمِؤۡمُلۡا ذِخَِّتَ ي لََ ﴾28﴿ ُيۡۡصِ مَلۡا ِللّٰا لَِاوَ ؕ ُ للّٰا مُكُرُذَِّيُُوَ ؕ ًةٮقُٰ ت مۡهُ نۡمِ اوۡقُ َّت َت نَۡا لَ اَِّا ء ىۡ شَ فِۡ ِللّٰا (पारह - 2, सुरह आल ए इमरान, आयत - 28) तर्ुुमा - मुसलमान िामफ़र िं ि अपना द स्त न बना लें मुसलमान िं िे मसवा और ज ऐसा िरेगा उसे अल्लाह से िुछ इलाक़ा न रहा, मगर यह मि तुम उनसे िुछ डर और अल्लाह तुम्हें अपन े ग़ज़ब से डराता है और अल्लाह ही िी तरफ़ मफरना है। शान ए नुज़ूि : हज़रत उबादाह इब्ने सामीत रमज़'अल्लाहु त'आला अन्हहु ने जिंग-ए-अहज़ाब िे मदन हुज़ूर ﷺ से अज़ज़ मिया िे पािंच सौ यहूदी मेरे हमददज़ और हलीफ़ है मैं चाहता हूूँ िे दुश्मन िे मुिाबले में उन से मदद हामसल िरूिं उस पर ये आयत-ए-िरीमा नामज़ल हुई और ख़ुदा व रसूल ﷻ व ﷺ िे दुश्मन िं ि द स्त व मददगार बनाने िी मुमान'अत फ़रमाई गई और उन्हें राज़दार बनाना और उन से द स्ती व मुहब्बत िरना नाजाइज़ िरार मदया गया। हािं अगर जान व माल िे नुक़सान िा अिंदेशा ह त ऐसे वक़्त में मसफज़ ज़ामहरी बताज़व िरना जाइज़ है। (अस्बाबुल नुज़लू मललवाहीदी) 3 दूसरी जगह फरमाया : ىَ لعَ رَفۡكُ لۡا اوُّبحََتسۡ ا نِِا َءٓاَیِلوَۡا مۡكَُ ناوَخۡ ِاوَ مۡكَُءٓبََٰا اواۡذُخَِّت َت لََ اوۡ ُنمَٰا نَيۡذَِّلا اهَُّ ي َا ٓ يَّ ﴾23﴿ ن َوۡمُِلّٰظلا مُهُ كَ ِئ لٰاوُاَف مۡكُنۡمِّ مُۡلََّّوَ َتَّ ي نۡمَوَ ؕ نِاَيۡۡلَِۡا (पारह - 10, सुरह तौबा, आयत - 23) तर्ुुमा - ऐ ईमान वाल िं अपने बाप और अपन े भाईय िं ि द स्त न समझ अगर वह ईमान पर िुफ़्र पसिंद िरें और तुम में ज ि ई उनस े द स्ती िरेगा त वही ज़ामलम हैं। शान ए नुज़ूि : जब मुसलमान िं ि िामफर िं से तिज़-ए-मुहब्बत िा हुक्म मदया गया त िुछ ल ग िं ने िहा िे यह िैसे ह सिता है िे आदमी अपने बाप, भाई, और ररश्तेदार वगैराह से त'आल्लुि खत्म िर दे त इस पर ये आयत-ए-िरीमा नामज़ल हुई और बताया िे िामफर िं से द स्ती व मुहब्बत जाइज़ नही िं चाहे उन से ि ई भी ररश्ता ह । चुनािंचे आग े इरशाद फरमाया : ا هَوۡمُُت فۡتَََقۡا ۨلُاوَمَۡا وَ مۡكُُتيَۡۡشِعَوَ مۡكُجُاوَزَۡاوَ مۡكُُناوَخۡ ِاوَ مۡكُؤُٓاَن بَۡاوَ مۡكُؤُٓبََٰا نَاكَ نِۡا لُۡق ف ِۡ د اهَجِ وَ هِلوۡسُرَوَ ِللّٰا نَمِّ مۡكُیَۡلِ ا بَّ حََا ااَنََوۡضَرۡ َت نُكِسٰ مَ وَ اهَدَاسَكَ نَوۡشَتََۡ ٌةرَاَتِِوَ ﴾24﴿ ي َۡقِسِفٰلۡا مَوۡقَلۡا ىدِهَۡ ي لَ َ ُ للّٰاوَ ؕ هرِ مَۡبَِ ُ للّٰا ىَِتيََۡ تّٰحَ اوۡصُ َّب تَ َََف هِلیِۡبسَ (पारह - 10, सुरह तौबा, आयत - 24) 4 तर्ुुमा - तुम फ़रमाओ अगर तुम्हारे बाप और तुम्हारे बेटे और तुम्हारे भाई और तुम्हारी औरतें और तुम्हारा िुिंबा और तुम्हारी िमाई िे माल और वह सौदा मजसिे नुक़्सान िा तुम्हें डर है और तुम्हारे पसिंद िे मिान यह चीज़ ें अल्लाह और उसिे रसूल और उसिी राह में ल़िन े से ज़्यादा प्यारी ह िं त रास्ता देख यहाूँ ति मि अल्लाह अपना हुक्म लाये और अल्लाह फ़ामसक़ िं ि राह नही िं देता। इस आयत-ए-िरीमा से सामबत हुआ िे अपन े दीन व ईमान ि बचाने िे मलए दुमनया िी मशक्कत बदाज़श्त िरना मुसलमान िं पर लामज़म ह ै और अल्लाह ﷻ और उसिे रसूल प्यारे मुस्तफा ﷺ िी इताअत िे मुिाबले में दुमनया िे त'आल्लुक़ात िी परवाह िरने वाला फ़ामसक़ है और ये भी सामबत हुवा िे ख़ुदा व रसूल (ﷺﷻ) िी मुहब्बत ईमान िी दलील है। चुनािंचे एि मक़ाम पर फरमाया : اواُۡ ناكَ وَۡلوَ هَلوۡسُرَوَ َللّٰا دَّٓاحَ نۡمَ نَوۡدُّٓاوَُ ي رِخِلَٰۡا مِوۡ َیلۡاوَ ِللّٰبَِ نَوۡ ُنمِؤُّۡ ي امًوۡ َق دُتَِِ لََ مۡهُدََّيَاوَ نَاَيۡۡلَِۡا مُِبِِوُۡلُ ق فِۡ بَ َتكَ كَ ِئٓ لٰوُا ؕ مُۡتََيَۡۡشِعَ وَۡا مُۡنََاوَخۡ ِا وَۡا مۡهَُءٓاَن بَۡ ا وَۡا مۡهَُءٓبََٰا ُ للّٰا ىَضِرَ ؕ اهَ یِۡف نَيۡدِِلخٰ رُٰنََۡلَۡا اهَِتتََۡ نۡمِ ىۡرِتَِۡ ت ّنٰجَ مۡهُُلخِدُۡيوَ ؕ ُ هنۡمِّ ح وۡرُِب ﴾22﴿ نَوۡحُ ِلفۡمُلۡا مُهُ ِللّٰا بَزۡحِ نَِّا لَ اََا ؕ ِللّٰا بُزۡحِ كَ ِئٓ لٰوُا ؕ ُ هنۡ عَ اوۡضُرَوَ مۡهُ نۡعَ (पारह - 28, सुरह मुजामदलाह, आयत - 22) तर्ुुमा - तुम न पाओगे उन ल ग िं ि ज यक़ीन रखते हैं अल्लाह और मपछले मदन पर मि द स्ती िरें उनसे मजन्ह निं े अल्लाह और उसिे रसूल से मुख़ालफ़त िी अगरचे वह उनिे बाप या बेटे या भाई या िुिंबे वाले 5 ह िं यह हैं मजनिे मदल िं में अल्लाह ने ईमान नक़्श फ़रमा मदया और अपनी तरफ़ िी रूह से उनिी मदद िी और उन्हें बाग़ में ले जायेगा मजनिे नीचे नहरें बहें उनमें हमेशा रहें अल्लाह उनसे राज़ी और वह अल्लाह से राज़ी यह अल्लाह िी जमाअत है सुनता है अल्लाह ही िी जमाअत िामयाब है। मालूम हुवा िे म ममन िी ये शान ही नही िं और उस िा ईमान ये गवारा ही नही िं िर सिता िे ख़ुदा व रसूल (ﷺوﷻ) िे दुश्मन ,िं बद-दीन ,िं बदमज़हब िं और ख़ुदा व रसूल (ﷺو ﷻ) िी शान में गुस्ताख़ी और बे- अदबी िरने वाल िं से मुहब्बत िरे और ख्वाह व दुश्मन ए रसूल उस म ममन िा बाप,दादा ही क् िं ना ह । और मजस में ये मसफ़त पाई जायेगी अल्लाह तआला ﷻ उसे सात (7) नेअमत िं से नवाज़ेगा। (1) अल्लाह तआला ﷻ ईमान ि मदल में नक़्श िर देगा। (2) इस में ईमान पर ख़ामतमा िी बशारत है क् िं िे अल्लाह तआला ﷻ िा मलखा हुआ ममटता नही िं है। (3) अल्लाह तआला ﷻ रूहुल िुद्स से मदद फरमाएगा। (4) हमेशा िे मलये ऐसी ज़न्नत िं में ले जायेगा मजस िे नीचे नहरें जारी है। (5) अल्लाह ﷻ वाला ह जायेगा। (6) मुूँह मािंगी मुरादें पायेगा। (7) अल्लाह तआला ﷻ उस से राज़ी ह गा और बिंदे िे मलये अल्लाह तआला ﷻ िी रज़ा बस है। 6 चुनािंचे ईमान िी ये शान सहाबा-ए-मिराम ररज़वानुल्लामह तआला अलैमहम अजमईन में मुलाहज़ा ह , हज़रत अबु उबैदा रमज़'अल्लाहु त'आला अन्हहु ने अपन े बाप ज़राज़ह ि जिंग-ए-उहद में क़त्ल िर मदया और हज़रत अब ु बक्र मसद्दीक़ रमज़'अल्लाहु त'आला अन्हहु ने बद्र िे मदन अपन े बेटे अब्दुल रहमान ि मुक़ाबले िे मलये बुलाया लेमिन हुज़रू ﷺ ने उन्हें इजाज़त ना दी, हज़रत मुसअब मबन उमैर रमज़'अल्लाहु त'आला अन्हहु ने अपन े भाई अब्दुल्लाह मबन उमैर ि क़त्ल मिया, हज़रत उमर मबन ख़त्ताब रमज़'अल्लाहु त'आला अन्हहु ने अपन े मामूूँ आ'स मबन महशाम मबन मुगीरा ि जिंग-ए-बद्र में क़त्ल मिया और हज़रत अली इब्न ए अबी तामलब व हमज़ा व अबु उबैदा रमज़'अल्लाहु त'आला अन्हहु ने रबी'आ िे ल़िि िं उतबा,शैबा और वलीद मबन उक़बा ि जिंग-ए-बद्र में क़त्ल िर मदया ज उन िे ररश्तेदार थे। अफ़स स आज िल िे मुसलमान िहलाने वाले अपन े मुतज़द और बेदीन ररश्तेदार िं और द स्त िं से ितअ ए तआल्लुि िरने से भी मजबुरी ज़ामहर िरते हैं। अल्लाह तआला ﷻ इरशाद फरमाता है : نۡمَوَ ؕ ض عَۡ ب ُ ءٓاَیِلوَۡا مۡهُضُ عَۡ ب ۚ َءٓاَیِلوَۡا ىرٰاصٰ َّنلاوَ دَوۡهُ َیلۡا اوذُخَِّت َت لََ اوۡ ُنمَٰا نَيۡذَِّلا اهَُّ يَا ٰيا ﴾51﴿ ي َۡمِِلّٰظلا مَوۡقَلۡا ىدِهَۡ ي لَ َ َلل ّٰا نَِّا ؕ مۡهُ نۡمِ هَّنِاَف مۡكُنۡمِّ مُۡلََّّوَ َتَّ ي (पारह - 6, सुरह मायदाह, आयत-51) तर्ुुमा - ऐ ईमान वाल यहूद व नसारा ि द स्त न बनाओ वह आपस में एि दूसरे िे द स्त हैं और तुम में ज ि ई उनसे द स्ती रखेगा त वह उन्ही िं में से है बेशि अल्लाह बे-इन्साफ़ िं ि राह नही िं देता। 7 शाने नुज़ूि : सहाबी-ए-रसूल ﷺ हज़रत उबादा मबन सामीत रमज़'अल्लाहु त'आला अन्हहु ने मुनामफ़क़ िं िे सरदार अब्दुल्लाह मबन उबई से फरमाया िे यहूदी मेरे बहुत द स्त हैं ज ब़िी शान व शौक़त वाले हैं। लेमिन अब में उन िी द स्ती से बेज़ार हूूँ अल्लाह व रसूल (ﷺو ﷻ ) िे मसवा मेरे मदल में मिसी िी मुहब्बत िी गुिंजाइश नही िंइस पर अब्दुल्लाह मबन उबई ने िहा िे में यहूदी से द स्ती ख़त्म नही िं िर सिता इस मलये मुझे पेश आने वाले हवामदस (हादस )िं िा अिंदेशा हैं। मुझे उन िे साथ रस्म व राह (मेल ज ल) रखनी ज़रूरी है तािी वक़्त आने पर व हमारी मदद िरें त हुज़रू ﷺ ने अब्दुल्लाह मबन उबई स े फरमाया िे यहूदी द स्ती िा दम भरना तेरा ही िाम है उबादा िा य े िाम नही।िं इस पर अल्लाह तआला ﷻ ने इस आयत-ए-िरीमा ि नामज़ल फरमा िर बता मदया िे यहूद व नसारा से मुहब्बत व द स्ती िायम रखना मुसलमान िं िी शान नही।िं (तफसीर ए सावी, मजल्द अव्वल, सफह 251) अफस स आज भी इसी अब्दुल्लाह मबन उबई िी तरह उज़्र पेश िरत े हैं िे अगर हम बेदीन ,िं बदमज़हब िं और ख़ुदा ﷻ और रसूल ﷺ िी शान में गुस्ताख़ी िरने वाल िं से द स्ती व मुहब्बत ना िायम रखें और उन से नफ़रत िरें त हमारे बहुत से िाम रुि जाएिंगे मगर ये उज़्र उन िे नफ़्स िा ध िा है। 8 अमीरुल म ममनीन हज़रत फ़ारूक़-ए-आज़म रमज़'अल्लाहु त'आला अन्हहु ने हज़रत मूसा अश'अरी रमज़'अल्लाहु त'आला अन्हहु से फरमाया िे तुम ने अपना मुिंशी नसरानी रख मलया है हालािंिे तुम ि उस से ि ई वास्ता नही िं ह ना चामहए क्ा तुम ने ये आयत नही िं सुनी : َء ٓاَیِلوَۡا ىرٰاصٰ َّنلاوَ دَوۡهُ َیلۡا اوذُخَِّت َت لََ اوۡ ُنمَٰا نَيۡذَِّلا اهَُّ يَا ٰيا (पारह - 6, सुरह मायदा, आयत - 51) तर्ुुमा - ऐ ईमान वाल यहूद व नसारा ि द स्त न बनाओ उन्ह निं े अज़ज़ मिया नसरानी िा दीन उस िे साथ है मुझे त उस िे मलखने पढ़न े से गरज़ है। अमीरुल म ममनीन ने फरमाया िे अल्लाह ﷻ ने उन्हें ज़लील मिया तुम उन्हें इज्ज़त न द अल्लाह ﷻ ने उन्हें दूर मिया तुम उन्हें िरीब ना िर हज़रत मूसा अश'अरी रमज़'अल्लाहु त'आला अन्हहु ने अज़ज़ मिया िे बगैर इसिे बसरा िी हुक़ूमत िा िाम चलाना दुशवार है में ने मजबूरन इस ि रख मलया है क् ििं े ईस क़ामबमलयत िा आदमी मुसलमान िं में नही िं ममलता। इस पर अमीरुल म ममनीन हज़रत फ़ारूक़-ए-आज़म रमज़'अल्लाहु त'आला अन्हहु ने फरमाया िे अगर नसरानी मर जाए त क्ा िर गे ज इिंतज़ाम उस वक़्त िर गे व अब िर ल और इस दुश्मने इस्लाम से िाम लेिर उस िी इज्ज़त हरमगज़ ना बढ़ाओ। (तफ़्सीरे खज़ाइनुल इरफ़ान) 9 िुफ़्फ़ार से द स्ती व मुहब्बत चूिंिे मुतज़द और बेदीन ह ने िा सबब ह ै इस मलये इस मि मुमानअत िे बाद फरमाया। अब भी बाज़ ल ग बदमज़हब िं ि अपने िार बार में मुिंशी मुखतार िार रख िर यही उज़्र िरते हैं मैं वही अज़ज़ िरता हूूँ ज हज़रत फ़ारूक़-ए-आज़म रमज़'अल्लाहु त'आला अन्हहु ने फरमाया बस्सि वही अज़ज़ िरता हूूँ ज तमाम िायनात िा ख़ामलि फरमाता है : ۙهَنوۡ ُّبيُُِوَ مۡهُ ُّبيُُِّ م وۡقَِب ُ للّٰا ىِتيََۡ فَ وۡسََف هِن يۡدِ نۡعَ مۡكُنۡمِ دََّترَّۡ ي نۡمَ اوۡ ُنمَٰا نَيۡذَِّلا اهَُّ يَا ٰيا م ِئ لَاَ َةمَوَۡل نَوُۡ فاَيََ لََوَ ِللّٰا لِیِۡبسَ فِۡ نَوۡدُهِاَيُُ ز نَيۡرِفِكٰلۡا ىَلعَ ةزَّعَِا يَِۡنمِؤۡمُلۡا لَعَ ة َّلذَِا ﴾54﴿ مٌیِۡلعَ عٌسِاوَ ُ للّٰاوَ ؕ ُ ءٓاشََّي نۡمَ هِیِۡتؤُۡ ي ِللّٰا ُلضۡ َف كَ ِلذٰ ؕ (पारह - 6, सुरह मायदा, आयत - 54) तर्ुुमा - ऐ ईमान वाल िं तुम में ज ि ई अपने दीन से मफरेगा त अन्हक़रीब अल्लाह ऐसे ल ग लायेगा मि वह अल्लाह िे प्यारे और अल्लाह उनिा प्यारा मुसलमान िं पर नमज़ और िामफ़र िं पर सख़्त अल्लाह िी राह में ल़िेंगे और मिसी मलामत िरने वाले िी मलामत िा अन्देशा न िरेंगे यह अल्लाह िा फ़ज़्ल है मजसे चाहे दे और अल्लाह वुसअत वाला इल्म वाला है। अल्लाह तआला ﷻ ने इस आयत-ए-िरीमा में मुसलमान िं में ब'आज ल ग िं िे मुतज़द ह ने िी खबर दी और साथ ही ये भी बता मदया िे िुछ ल ग ऐसे भी ह गिं े ज अल्लाह ﷻ िे महबूब ह गिं े और अल्लाह ﷻ उन िा महबूब ह गा और उन िी पहचान ये ह गी िे व मुसलमान िं िे मलये नरम ह गिं े लेमिन िामफर िं और मूतज़द िं िे मलये सख़्त रहेंगे।

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